Monday, September 27, 2010

बिना संगीत जिन्दगी कैसी?

कभी कभी जिंदगी में ऐसे कई मोड़ आ जाते हैं जिससे मन अशांत हो जाता है ऐसे में मधुर संगीत एक मरहम का काम करती है बस आज हमने यसुदास के कुछ गाने सुने बहुत ही अच्छा लगा। एक गीत आपको भी सुनाना चाहती हूँ :)

फिल्म :चश्मेबद्दूर, गायक : यसुदास एवं Haimanti Shukla, गीत के बोल इस प्रकार हैं

कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगे दीपक
बन बैठे आँसू कि झालर
मोती का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जा फिसला
कहाँ से आए बदरा ...

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों कि सूखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा ...

उतरे मेघ या फिर छाये
निर्दय झोंके अगन बढ़ाये
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मन है पगला
कहाँ से आये बदरा ...


Wednesday, September 22, 2010

सच्चा प्रेम तो करो! फिर देखो:)

निःस्वार्थ और सच्चे प्रेम में सिर्फ देना ही होता है और जो भी परिणाम प्राप्त होता है वह सुखद होता है। केविन रिचर्डसन एक ऐसे ही इन्सान है जिसने नि:स्वार्थ भाव से प्रकृति से प्रेम किया और परिणाम? :) आप खुद देखिये।





















केविन जी ३ साल की उम्र से ही छोटे बड़े जीवों से स्नेह का भाव रखते थे। उनके बिस्तर के नीचे झिंगुर रहते थे। :) और उनका एक पालतू मेंढक भी था “Paddajie" जिसे वे अपने बिस्तर के नीचे रखते थे। हा हा हा आपको रखने को नहीं कह रहे हैं :)
किशोरावस्था से ही इनके मातृभूमि में “The Bird Man of Orange Grove” के नाम से जाना जाने लगा था और बाद में इन्होने वह सारी हदें पार कर डाली जो नामुमकिन था। हथियार उनके पास सिर्फ एक ही था प्रेम का और अहिंसा का। हमारे प्यारे बापू ने तो इस हथियार से मानव पर भी राज कर लिया था। :)
(Kevin has always shown an interest in all types of creatures large and small and from an early age at just 3, was breeding crickets under his bed and keeping a pet toad called “Paddajie”. He grew from a young boy who cared for so many animals that he was called “The Bird Man of Orange Grove” in his home town to an adolescent who ran wild and, finally, to a man who is able to cross the divide between humans and predators. As a self-taught animal behaviorist, Richardson has broken every safety rule known to humans when working with these wild animals. Flouting common misconceptions that breaking an animal’s spirit with sticks and chains is the best way to subdue them, he uses love, understanding and trust to develop personal bonds with them. His unique method of getting to know their individual personalities, what makes each of them angry, happy, upset, or irritated-just like a mother understands a child-has caused them to accept him like one of their own into their fold.
Kevin has used his unique relationship with these large predators to make documentaries and commercials while working at the Lion Park in Johannesburg, South Africa. It was there that award winning documentary maker Michael Rosenberg spotted Kevin’s unusual abilities and decided to capture these special relationships on film which kick started off Kevin’s documentary making career with Dangerous Companions, and other shows like Growing up hyena.
Kevin’s has been involved in various conservation and research projects in the Okavango Delta and Lydenberg area and as a result has produced another documentary on black leopard called In Search of a Legend.
The filming work Kevin has been involved in over the years has grown and as a result he has moved with the animals he works with to a larger farm nestled just outside the Cradle of Human Kind 50-60km North of Johannesburg called the Kingdom of the White Lion. He resides opposite the property where the animals are kept, and works closely with them on a daily basis.It is here he has been working on the dramatic feature film called White Lion, a project in the making for 4 years. The film is soon to be released on the 19th of February 2010 in South Africa and details the life of a young white lion, “Letsatsi”, who against all odds survives to become the magnificent adult white lion he was born to be.)

Wednesday, September 15, 2010

जब प्रभु जी का ये हाल तो इंसानों का क्या?

प्रभु जी को लेकर आये, प्रेम से उन्हें हमने अपने दिलों और जगह -जगह चाहे दुकानों के सामने हो या फिर गली मोहल्लों के मंचों में स्थापित किया....
फिर कुछ नाकेबंदी भी कर दी सुरक्षा के नाम पर।
प्रभु सिर्फ दो ही समय दर्शन देते हैं एक तो प्रात:काल और फिर सन्ध्याकाल में। बाकी समय तो प्रभु जी को आराम करने दिया जाता है वैसे हमने एक स्वान महाराज को प्रभु जी की नींद में खलल डालते भी देखा है।
११ दिनों तक हम पूजा अर्चना करते हैं और प्रभु से अपनी मांगों की एक लम्बी चौड़ी लिस्ट रखते हैं शायद ही कोई उनसे उनका हालचाल पूछता होगा।
बीच -बीच में बच्चों के लिए किसी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है फ़िल्मी गीतों से सजी आर्केस्ट्रा भी महफ़िल को रंगीन बनाती नज़र आती है और बच्चे भी मंच पर सलमान खान के दबंग फिल्म के संगीत के धुनों में थिरकते नज़र आते हैं। कार्यक्रम का शुरूआती दौर तो माशा अल्लाह थोड़ा ठीक ही रहता है आखिर में तो आपको प्रभु के सच्चे भक्त नशे में डूबे जरूर दिख ही जायेंगे।
देखते ही देखते विसर्जन का समय आ जाता है लोग आँखों में आँसू भरकर प्रिय गणपति महाराज जी की विदाई करते हैं। गाजे बाजे के साथ प्रभु जी की शानदार झाँकियाँ निकाली जाती है और यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है। अब देखिये विसर्जन के बाद की स्थिति!

क्या आप भी यही चाहते हैं कि आपके प्यारे प्रभु का यह हाल हो? नहीं ना?
फिर आपके पास क्या उपाय है? कहिये.....

Tuesday, September 14, 2010

हिंदी दिवस सही मायने में कब?

बहुत ही कम शब्दों में कहना चाहूँगी...
जब तक हम अपनी शिक्षा व्यवस्था में से Lord Macaulay को ना निकाल कर अपनी पूर्व व्यवस्था को स्थापित ना कर दें तब तक हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य महत्वहीन है। सिर्फ भाषा अपनाने से काम ना बनेगा अपनी संस्कृति और डूबती विरासतों को भी बचाना होगा। वरना ये पश्चिमी देश हिंदी भाषा का उपयोग करके ही आपको लूट डालेंगे और आपको पता ही नहीं चलेगा।
उदाहरण के लिए टीवी पर आने वाले सारे विज्ञापन हिंदी में ही होते हैं चाहे हमारे हों या चाहे पश्चिमी देशों के और हमारे प्रिय नेताओं के लिए वोट भी तो हिंदी में ही मांगे जाते हैं।

मकसद उनका सिर्फ एक ही है "लूटना"

Wednesday, September 8, 2010

एक छोटी सी मुलाकात मित्रों से...



हफ्फ हफ्फ...! दोस्त क्या तुम मेरी तरह उड़ सकते हो?

हैलो दोस्तों! common hug me :)

अरे! ये क्या है?

यह मेरी सबसे प्यारी दोस्त है और आपकी?

Wow! देखो दोस्तों मेने एक नए और आरामदायक बिस्तर की खोज की है आप भी try कर सकते हैं। :)

hello friends देखिये मैं ईश्वर की बेहतरीन कला की एक मिसाल हूँ।

और मैं भी :)

Dear Friends मुझमें हड्डी नहीं है फिर भी मैं कितनी खुबसूरत हूँ और मुझे इस प्रकृति का एक हिस्सा होने में गर्व है। :)

दोस्तों मैं दिखने में बहुत ही खुबसूरत मेंढक हूँ पर मुझसे दूरी बनाकर रखिये क्योंकि में बहुत जहरीला हूँ।

हे हे .... दोस्तों मैं आपका मिट्ठू :) प्यार से सब मुझे तोताराम बुलाते हैं..... हैंssssssss... यह मेरे जैसे ही एक और मिट्ठू? और हम दोनों के बीच में ये
तीसरा
कौन है ? मुझे नहीं पता जी....

hello! देखिये मेरी मुस्कान मोनालिज़ा जैसी है। है ना? :)

मित्रों मुझे बचाइए! देखिये मैं कितना प्यारा और नन्हा सा पंछी हूँ, मुझे किसी के प्लेट का नाश्ता नहीं बनना है.....

मुझे इंसानों ने खुबसूरत बनाया है

Oh! come on... डरिये मत मैं हूँ ना! मैं आपको उड़ना सिखाऊंगा :)

आज मैं बहुत दुखी हूँ दोस्तों :( जिन्दगी भी एक नशा है दोस्तों जब चढ़ता है तो मत पूछो क्या आलम रहता है ..... लेकिन जब उतरता है तब.......

देखिये मेरी खूबसूरती :)

मैं आपके प्रकृति के garden का राजा हूँ। :)

और मैं आपके झील का एक प्यारा सा बत्तख हूँ :)

नमस्ते दोस्तों! यह मेरी माँ हैं इन्होने ही मुझे एक नया जीवनदान दिया है और मुझे पिंजरे में देखा बहुत निराश हो रही है :(

मैं एक बहुत ही खुबसूरत पर जहरीला समुद्री प्राणी हूँ :)

hello friends मुझसे घृणा मत कीजियेदेखिये मैं भी तो कितना प्यारा हूँ.... रोशनी के दोस्त मेरी चाल पर हँसते हैं।

मैं एक डॉल्फिन हूँ जो सारे मनुष्य जाति से स्नेह का भाव रखती है फिर भी लोग मेरा शिकार क्यों करते हैं? और मुझे एक छोटे से sweeming pool में रहना पसंद नहीं, मुझे मेरे घर समुद्र में छोड़ दीजिये :)

मैं Caño Cristales हूँ मुझे ना केवल दुनिया की सबसे खुबसूरत नदी के रूप में वरन "पञ्च रंगों की नदी The river of five colours" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि मेरे पास बहुत खुबसूरत दृश्य होते हैं जब मुझमें उपस्थित शैवाल खिलते हैं :)

मैं लाल पांडा हूँ लोग मुझे फर प्राप्त करने के लिए मार देते हैं :(
मैं हंस हूँ और नीचे मेरा प्यारा परिवार है मुझे धार्मिक ग्रंथों में बहुत ही पवित्र माना गया है :)
तो फिर बताइए मित्रों हमारे इस दोस्तों से मिलकर आपको कैसा लगा? :)