मेरी दोस्त
मेरी मित्र प्रकृति
तुम मुझसे क्या कहना चाहती हो?
मेरी प्यारी सखी,
तुम्हारे आखों में यह,
आंसू कहाँ से आए?
तुम तो बहुत सुंदर हो,
प्यारी सी।
मैंने तुम्हे ऋंगार करते देखा है,
जब तुम,
प्रात: सूरज रूपी लाल बिंदी,
माथे पर सजाती हो,
जब तुम,
वायु से अपने शाखों और,
पत्तियों रूपी केशों को संवारती हो।
तुम तो बहुत प्यारी लगती हो।
काली घटाओ का छाना,
मेघों का बरसना
तुममे एक नया उमंग भर देता है ,
है न !
तुम्हारी आँखों से बरसता पानी ,झरना बन,
इस धरती की प्यास को बुझाता है।
समझ में नही आई ,
एक बात,
तुम्हारी आंखों में यह ,
आंसू कहाँ से आए
तुम,
कब से मौन हो,
चुप खड़ी हो,
जब मैं देखती हूँ ,
साँझ हो रही है,
पंछी अपने घरोंदो ,
अपनी माँ के ,
पास,
लौट रहे हैं
बस,
मित्र कहने की आवश्यकता नही ,
मुझे,
मालूम है,
ये अश्रू खुशी के हैं।
मेघों का बरसना
तुममे एक नया उमंग भर देता है ,
है न !
तुम्हारी आँखों से बरसता पानी ,झरना बन,
इस धरती की प्यास को बुझाता है।
समझ में नही आई ,
एक बात,
तुम्हारी आंखों में यह ,
आंसू कहाँ से आए
तुम,
कब से मौन हो,
चुप खड़ी हो,
जब मैं देखती हूँ ,
साँझ हो रही है,
पंछी अपने घरोंदो ,
अपनी माँ के ,
पास,
लौट रहे हैं
बस,
मित्र कहने की आवश्यकता नही ,
मुझे,
मालूम है,
ये अश्रू खुशी के हैं।