Tuesday, July 29, 2008

मित्र प्रकृति मुझसे क्या कहना चाहती हो?



मेरी दोस्त
मेरी मित्र प्रकृति
तुम मुझसे क्या कहना चाहती हो?
मेरी प्यारी सखी,
तुम्हारे आखों में यह,
आंसू कहाँ से आए?
तुम तो बहुत सुंदर हो,
प्यारी सी।
मैंने तुम्हे ऋंगार करते देखा है,
जब तुम,
प्रात: सूरज रूपी लाल बिंदी,
माथे पर सजाती हो,
जब तुम,
वायु से अपने शाखों और,
पत्तियों रूपी केशों को संवारती हो।
तुम तो बहुत प्यारी लगती हो।
काली घटाओ का छाना,
मेघों का बरसना
तुममे एक नया उमंग भर देता है ,
है न !
तुम्हारी आँखों से बरसता पानी ,झरना बन,
इस धरती की प्यास को बुझाता है।
समझ में नही आई ,
एक बात,
तुम्हारी आंखों में यह ,
आंसू कहाँ
से आए
तुम,
कब से मौन हो,
चुप खड़ी हो,
जब मैं देखती हूँ ,
साँझ हो रही है,
पंछी अपने घरोंदो ,
अपनी माँ के ,
पास,
लौट रहे हैं
बस,
मित्र कहने की आवश्यकता नही ,
मुझे,
मालूम है,
ये अश्रू खुशी के हैं।

कल्पना की प्रकृति

जब भी मैं कल्पना की दौड़ लगाती हूँ
मुझे वस्तुएं लहराती ,तैरती लगती हैं ।
कल्पना और यथार्थ का संगम,
बहुत प्यारा लगता है।
विहंग तरते हुए तो कभी उड़ते से,
लगते हैं।
बादलों को जब भी देखती हूँ,
निराकार,आकार को जन्म देता
कभी हंसते, कभी मुस्कराते हुए फूल
कभी नई फूटती कोंपले।
अचानक एक बिजली की चमक,
एक गड़गड़ाहट ,
मेरी कल्पनाओं की लहर का दृश्य
एक तेज लहर में धूमिल हो जाता है
और मैं यथार्थ मे
अपने को प।ती हूँ।

Friend

A FALSE FRIEND OF TREE
WILL NOT HELP YOU IN WORRY
THEY ARE LIKE COLD BREEZE
THAT EVERY MAN IS YOUR FRIEND
WHO WILL NOT MAKE YOU SPEND
ON WORST THINGS AND
ON THINGS WHICH DO NOT MATTER
TRUE FRIEND ARE SCANT
OF YOU WANT
USE BOOKS TO KNOW
DON'T BELIVE IN FOE
A FRIEND IN NEED
IS A FRIEND INDEED
SO, CHOOSE FRIEND WHO
ARE TRUE
IF YOU TO BE HAPPY