Friday, November 27, 2009

26/11 का क्या रोना भाई? ......

* इससे ज्यादा तो लोग महंगाई से मरते हैं....
* इससे ज्यादा तो लोग नशे में मरते हैं.....
* इससे ज्यादा तो सर पर छत नहीं और ठण्ड, बारिश और गर्मी से मरते हैं लोग....
* इससे ज्यादा तो साम्प्रदायिकता की आग में जल मरते हैं भाई जो इन नेताओं द्वारा सुलगाया जाता हैं।
* इससे ज्यादा तो कर्ज में मरते हैं किसान ....
* इससे ज्यादा तो भूख में मरते हैं लोग ...
२ रु.के चावल की भी कालाबाजारी होती हैं भाई यहाँ....
* इससे ज्यादा तो नकली दूध और नकली दवा से मरते हैं लोग .....
कौन करता हैं यह?
ये तो हमारे भीतर के लोग हैं जो जल्लाद बन गए हैं
हम इन जल्लादों को क्या सजा दें?
जो बड़े बड़े न्याय की बात करतें हैं .......

Wednesday, November 18, 2009

स्वागत है ....

क्रिएटिव मंच एवं सुरेंद्र जी आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया ..... आपका मार्गदर्शन हमें मिलता रहे ....इस आशा के साथ.... आपका पुन: शुक्रिया!

Wednesday, November 11, 2009

"एक बार फ़िर से ..."

राजनीतिज्ञों ने समझ क्या रखा है? चाहे किसी भी देश के हो?
अरुणाचल को अपना बताया जा रहा है
कभी कश्मीर का राग बजाया जा रहा है
क्या यह भी जानने की कोशिश की है कि आम आदमी कैसे जीना चाहता है?
अब वक्त आ चुका है
उठो मानव उठो !
उठो मानव उठो
जागो एक बार फ़िर से

मुट्ठी भर लोगों को चुना है
जानो इनको एक बार फ़िर से

राज नहीं है इनका धरती पर
बता दो इन्हें एक बार फ़िर से

युद्घ नहीं, शान्ति चाहिए
घृणा नहीं,प्रेम चाहिए
विनाश नहीं , विकास चाहिए
इस धरती पर रहने का अधिकार चाहिए


आँखे नहीं खुली तुम्हारी?
मुट्ठी भर मानव

तो इन्हें उठा कर फेंक देना चाहिए
सचेत कर दो मानव
इनको एक बार फ़िर से

उठो मानव उठो
जागो एक बार फ़िर से ।


Wednesday, November 4, 2009

"देश बड़ा या सचिन....?"

वाह सचिन! क्या बात है , सारे मीडिया वाले सिर्फ़ इसी बात पर खुश हैं कि आपके सत्रह हज़ार रन पूरे होने वाले हैं भले ही भारत हार जाए .......
ओहो..... माफ़ करिए जनाब !ग़लत कह दिया ना ! मुझे तो यह कहाँ चाहिए था कि पहली खुशी सचिन के सत्रह हज़ार रन पूरे होने के ...फ़िर दूसरी ख़ुशी देश के जीतने पर.....
वाह -वाह क्या बात है?...