* इससे ज्यादा तो लोग महंगाई से मरते हैं....
* इससे ज्यादा तो लोग नशे में मरते हैं.....
* इससे ज्यादा तो सर पर छत नहीं और ठण्ड, बारिश और गर्मी से मरते हैं लोग....
* इससे ज्यादा तो साम्प्रदायिकता की आग में जल मरते हैं भाई जो इन नेताओं द्वारा सुलगाया जाता हैं।
* इससे ज्यादा तो कर्ज में मरते हैं किसान ....
* इससे ज्यादा तो भूख में मरते हैं लोग ...
२ रु.के चावल की भी कालाबाजारी होती हैं भाई यहाँ....
* इससे ज्यादा तो नकली दूध और नकली दवा से मरते हैं लोग .....
कौन करता हैं यह?
ये तो हमारे भीतर के लोग हैं जो जल्लाद बन गए हैं
हम इन जल्लादों को क्या सजा दें?
जो बड़े बड़े न्याय की बात करतें हैं .......
4 comments:
BILKUL SAHI KAHA AAPNE
MEHGAI SE MARTE HAI LOG
DARD BHARI KAHAANI LIKHI HAI AAPNE .... AAKROSH NAZAR AATA HAI BHARA HUVA ....
sanjay ji Digamber Naswa ji thanks for comment.
sarkar ke rone par mujhe taras aata hai.Masoomon ki jaan koun leta hai aur kaise yah sab jante hain.
बहुत आक्रोश नजर आता है आपकी इस पोस्ट में और फिर यह आक्रोश जायज भी है.
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