Friday, January 18, 2019

आखिर क्यों?


आए दिन अखबार में ऐसी खबरें लगभग रोज आ रही हैं।
छत्तीसगढ़ में जंगली जानवर विशेषकर हथियों की आक्रामकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसका सीधा सा अर्थ है कि हमसे मानव जाति से गलतियाँ हो रही है जिससे यह रूप देखने को मिल रहा है। 
आखिर ऐसा क्या हो रहा है जिससे मानव और जंगली पशु में आए दिन संघर्ष का माहौल बनते जा रहा है?
ऐसा सरकारें क्या कर रही है कि संघर्ष का वातावरण बनते जा रहा है?
सरकारों में ऐसे निर्णय क्यों लिए जाते हैं कि ऐसी स्थिति बनती जा रही है?
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क्या जनता द्वारा चुने हुए लोगों ने शिक्षा ग्रहण नहीं किया था?
क्या ये चुने हुए प्रतिनिधि साक्षर और समझदार नहीं है?
क्या इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा में यह नहीं पढ़ा कि :-
पर्यावरण संतुलन कैसे रखा जाए? 
पर्यावरण संतुलन का क्या अर्थ होता है? 
पर्यावरण या प्रकृतिक संतुलन क्या है? 
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क्या हममें से जो भी ऐसे प्रकृति विरोधी काम कर रहे हैं। जैसे प्राकृतिक जंगल को उद्योग के लिए काटना...क्या इन्होंने कभी पर्यावरण शिक्षा ग्रहण नहीं की?
अगर ऐसी शिक्षा ग्रहण की तो यह क्यों इन लोगों की मानसिकता में नहीं आई?
क्यों इनके जीने में नहीं आई या आ रही है?
आखिर इस वर्तमान शिक्षा में क्या कमी है कि मानव जाति को अपनी गलती दिखाई नहीं दे रही? अगर दिखाई दे भी रही तो वह स्वीकार क्यों नहीं कर रहा है? क्यों सुधार नहीं कर पा रहा है? क्यों वह प्रकृति और मानव जाति का शोषण कर रहा है? क्यों वर्तमान शिक्षा सही प्रकार से जीने में नहीं आ रही है?

कृपया इस पर गंभीरता से विचार करें....