Tuesday, April 20, 2010

प्रार्थना, प्रेम और कृतज्ञता की शक्ति

क्या जल भी हमारे शब्दों से प्रभावितहो सकते हैं?

डॉ. ली. एच. लौरेनजेन, मासरू इमोटो (Dr. Lee, H. Lorenzen, Masaru Emoto) एक जापानीज़ वैज्ञानिक ऐसा विश्वास करते हैं और इन्होने इसे सिद्ध किया।तथा "The Message from Water"इस पुस्तक में इन्होने यह प्रकाशित किया है।


इमोटो ने यह सिद्ध किया कि जल सजीवों से सम्बंधित अनुनाद या गूंज उत्पन्न करता है।
यह उन्होंने क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया द्वारा दिखाया।
इन्होने जल कि बूंदों पर विभिन्न शब्दों, संगीतों और वातावरण का प्रयोग किया तथा ३ घंटे के लिए उन्हें फ्रीज़ होने दिया।
इसके पश्चात् उन्होंने क्रिस्टल बनने की प्रक्रिया का परिक्षण एक गहन अँधेरे कक्ष में माइक्रोस्कोप के नीचे किया और परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे।
जापान के एक झील जो फ़्युजिवारा बांध पर है जमे हुए जल का नमूना लिया।

Jyuhouin मंदिर के पुजारी, काटो होकी (Kato Hoki) ने एक घंटे के लिए बांध पर प्रार्थना की तब कीचड़ रंग का वह नमूना जिसकी कोई आकृति नहीं थी वह एक चमकीले हेक्सागोन ( छह कोण वाली आकृति ) में परिवर्तित हो गया।
यह उदाहरण दिखाता है कि मनुष्य का वातावरण से कितना गहरा सम्बन्ध है।
It's simply breathtaking.
(अब मै भोजन लेने से पहले प्रार्थना करने के महत्त्व को समझ गया हूँ)

अगला परिक्षण, उन्होंने एक पेपर के टुकड़े में यह लिखकर चिपकाया
"You make me sick. I will kill you."
यहाँ देखिये इस वाक्य से प्रभावित जल की बूँद का क्रिस्टल रूप माइक्रोस्कोप के नीचे -


बगैर उपचार के उबला पानी।


इन जल को बोतलों में भरकर इनमें सकारात्मक शब्दों कि पट्टी चिपकाई गई और प्रार्थना किया गया साथ ही मधुर संगीत की धुन बजाई गई ।
और फूलों की गंध भी expose की गई।
परिणाम- सुन्दर क्रिस्लीय सरंचना।
डॉ इमोटो ने यह भी सिखा की एक शब्द जिनके अन्य भाषाओं में अलग अलग अलग नामों से पुकारा जाता है वे भी अलग अलग क्रिस्टल सरंचना को उत्पन्न करते हैं।
उदा. "Thank You" in Eng. विभिन्न क्रिस्टल की अनुभूति जगाती है जबकि "अरिगाटो" जापानीज़ में।


यहाँ इमोटो कुछ अन्य प्रभाव अपनी खोज के दौरान देखे:-
जल स्वच्छ पहाड़ों के स्रोतों/चश्मों और धाराओं के बहुत ही खुबसूरत क्रिस्टलीय संरचना के रूप में रहते हैं जबकि प्रदूषित या ठहरे हुए जल भद्दी शक्ल के/ विरूपित और बिगड़े हुए रूप में होते हैं।


अन्य उदाहरण :-
एडोल्फ़ हिटलर


"You fool" label चिपका हुआ बोतल जिसमें उबला जल भरा हुआ है।

और एक बोतल पानी में जब भारी धात्विक धुन बजाई गयी।
यह दोनों एक ही प्रकार की संरचना उत्पन्न करती है। इसका अर्थ तो आप समझ ही सकते हैं। कि ये संगीतज्ञ हमें Fool बनाते हैं।

इमोटो ने कहा यदि आप मुझे पूछते हैं कि यह कैसा दिख रहा है? तो मैं कहूँगा "दुखी दिख रहा है "
जब जापान के लोक संगीतकार ने जल पर प्रयोग किया तो जल ने नृत्य प्रस्तुत करती नृत्यांगानों के वेशभूषा की छवि प्रस्तुत की।
यह रूप परिवर्तन यह दिखाता है कि जल ना केवल सरल सहानुभूति भावों/कम्पन बल्कि एक बुधिमत्ता भी प्रदर्शित करता है जैसे जल हमसे कह रहा है : तुमने नहीं देखा कि हम तुम्हें जानते हैं ? हम यहाँ हैं और हम समझते हैं हम आपका अभिवादन करते हैं।

यह केवल जल ही नहीं अपितु डॉ. इमोटो ने इसे पके हुए चावल पर भी प्रयोग किया। उन्होंने दो वायु रहित जार में थोड़े से पके हुए चावल रखे। एक ज़ार में उन्होंने लिखा "I Love You" और दूसरे में लिखा "You fool"
प्रत्येक दिन ३० दिनों के लिए, डॉ ने इन शब्दों को प्रत्येक ज़ार के पास कहे।
३० दिनों बाद परिणाम -
"I Love You" लिखा चावल अभी भी सफ़ेद था पर "You Fool" लिखा चावल सड़ गया और काला हो गया था। आप इसकी व्याख्या कैसे कर सकते हैं ?
Just as a side note: जब मैं एक बच्चा था मेरी माँ ने मुझे भोजन के पहले प्रार्थना करना सिखाया था। अब मैं यह समझ पाता हूँ कि केवल यह केवल करने अच्छी आदत नहीं है।
अब मैं अपने भोजन पर प्रार्थना करता हूँ तब मैं यह जानता हूँ कि आण्विक स्तर तक पदार्थ का रूपांतरण होता है जिसके लिए मैं प्रार्थना करता हूँ।
टेबल पर रखे भोजन और जल को मैं कहता हूँ- "Be Blessed"
And I expect it to be blessed.

जापानीज़ छात्रों ने तीन बर्तन में पानी भरा और उनमें चावल उगाये।
पहले को धनात्मक/सकारात्मक शब्द "LOVE" के साथ।
दूसरे को नकारात्मक/ ऋणात्मक शब्द "IDIOT" के साथ।

और तीसरे पर किसी भी प्रकार का label नहीं लगाया।
परिणाम
पहला- बहुत स्वादिष्ट धान

दूसरा - बगैर स्वाद के और
तीसरा- सड़े-गले चावल उत्पन्न हुए।

WAIT A MINUTE!

क्या आप भी जल से बने हुए हैं?


जी हाँ! हमारे शरीर का ७२% जल से बना हुआ है। कल्पना कीजिये आपके शब्द आपके शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं जब आप कहते हैं

"मैं एक हारा हुआ हूँ " "I am a failure"
या "मैं एक निराशवादी हूँ " "I am hopeless"
या फिर" मैं कभी स्वस्थ नहीं हो सकता " "I won't get well"

कल्पना कीजिये ये वाक्य/शब्द आपके स्वास्थ्य को कितना प्रभावित करते हैं।
हमेशा सकारात्मक शब्द और अच्छे शब्दों का प्रयोग करें।
हमेशा यह कहें-

"मैं बहुत ही अद्भुत हूँ"
"मैं बहुत सुन्दर हूँ"
"मैं ईश्वर की संतान हूँ"
और "ईश्वर के पास मेरी जिन्दगी के लिए बहुत ही खुबसूरत योजना है"

एक बोतल प्रेम और कृतज्ञता का लेबल लगा हुआ था उसने बहुत ही सुन्दर क्रिस्टल की संरचना उत्पन्न की थी।
इमोटो आश्वस्त हुए कि प्रकृति की Life-Phenomena "प्रेम और कृतज्ञता " पर आधारित है।
उन्होंने व्याख्या की जल का एक अणु H2O एक ऑक्सीजन और दो हाइड्रोजन परमाणु से बना है। ऑक्सीजन परमाणु आग और क्रियाशीलता का प्रतीक है यह "प्रेम" के अर्थ में है।
हाइड्रोजन "कृतज्ञता" का प्रतीक है।
इमोटो ने इससे यह निष्कर्ष निकला कि सिर्फ कृतज्ञता (H2) के दो बार उत्पन्न होने से ही "प्रेम" (O) सक्रिय आकृति ले सकता है और इसका प्रभाव है यह खूबसूरत क्रिस्टल है।

इमोटो कहते हैं मैं आपको सच्चाई बोलने को प्रोत्साहित करता हूँ।
Dethrone the lies in your mind. अपनी शक्ति से अपने दिमाग के सारे झूठ निकाल दो।

कहो ,"मैं खुबसूरत हूँ "
कहो,"मैं एक अद्भुत व्यक्ति हूँ"
कहो,"मैं अध्यात्मिक हूँ "
"मैं बलवान हूँ"
"मुझे ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त है"
अपने शब्दों का प्रयोग अपनी वास्तविक इच्छाओं की पूर्ती के लिए कीजिये।
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इमोटो के कुछ अन्य प्रयोग

Yodo River, Japan pours into the Bay of Osaka. The river passes through most of the major cities in Kasai

Tibet Sutra

Spring Water of Sanbuichi Yusui, Japan
Fountain in Lourdes, France

iwako Lake, the largest lake at the center of Japan and the water pool of the Kinki Region. Pollution is getting worse


Beethoven's Pastorale

Antarctic Ice

A Crystel of Water Drop

Mother Teresa
ये चित्र हमसे जल के व्यवहार के अविश्वसनीय गाथा कहते हैं अब यह स्पष्ट है कि जल वातावरण के किसी भी प्रकार के Vibration को चाहे वह जहरीले या प्रदूषित हो या चाहे प्राकृतिक अवस्था हो। या फिर हमारे भीतर या हमारे चारों ओर के Vibration को आसानी से ग्रहण कर लेता है।
मासारू इमोटो के इस असाधारण कार्य के प्रदर्शन व उनके कहे अनुसार हम स्वयं को और इस धरती को बदल सकते हैं।
अब हमारे पास बेहतर साक्ष्य है कि हम स्वयं और इस सृष्टि को सकारात्मक विचार और इस विचार को कार्य रूप में परिणित कर स्वास्थ्य बना सकते हैं।

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For our own bodies at birth are 70 percent water, and the percentage of water in our bodies remains high throughout life (depending upon weight and body type). Also, the earth's surface is 70 percent water. And now we have seen before our eyes the proof that water is far from inanimate, but is actually alive and responsive to our every thought and emotion. Perhaps, having seen this, we can begin to really understand the awesome power that we possess, through choosing our thoughts and intentions, to heal ourselves and the earth. If only we believe.

-Susan Barber

4 comments:

संजय भास्‍कर said...

BAHUT HI GYANVARDHAK JAANKARI

Alpana Verma said...

waah! roshni bahut hi achcha lekh hai yeh to.
kitni baaten maluum huin...sakaratmak soch ka kaise prabhaav padta hai ..in tasveereon aur is research se maluum hua.

--very very well written.
--Bharat darshan ke sticker ko yahan sthan diya aap ne.

thanks a lot.

Roshani said...

Thank u so much.

Unknown said...

Sakaratmak vichar hi achha swathya de sakte hai