डॉ. ली. एच. लौरेनजेन, मासरू इमोटो (Dr. Lee, H. Lorenzen, Masaru Emoto) एक जापानीज़ वैज्ञानिक ऐसा विश्वास करते हैं और इन्होने इसे सिद्ध किया।तथा "The Message from Water"इस पुस्तक में इन्होने यह प्रकाशित किया है।
यह उन्होंने क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया द्वारा दिखाया।
Jyuhouin मंदिर के पुजारी, काटो होकी (Kato Hoki) ने एक घंटे के लिए बांध पर प्रार्थना की तब कीचड़ रंग का वह नमूना जिसकी कोई आकृति नहीं थी वह एक चमकीले हेक्सागोन ( छह कोण वाली आकृति ) में परिवर्तित हो गया।
यह उदाहरण दिखाता है कि मनुष्य का वातावरण से कितना गहरा सम्बन्ध है।
(अब मै भोजन लेने से पहले प्रार्थना करने के महत्त्व को समझ गया हूँ)
"You make me sick. I will kill you."
यहाँ देखिये इस वाक्य से प्रभावित जल की बूँद का क्रिस्टल रूप माइक्रोस्कोप के नीचे -
बगैर उपचार के उबला पानी।
इन जल को बोतलों में भरकर इनमें सकारात्मक शब्दों कि पट्टी चिपकाई गई और प्रार्थना किया गया साथ ही मधुर संगीत की धुन बजाई गई ।
परिणाम- सुन्दर क्रिस्लीय सरंचना।
डॉ इमोटो ने यह भी सिखा की एक शब्द जिनके अन्य भाषाओं में अलग अलग अलग नामों से पुकारा जाता है वे भी अलग अलग क्रिस्टल सरंचना को उत्पन्न करते हैं।
उदा. "Thank You" in Eng. विभिन्न क्रिस्टल की अनुभूति जगाती है जबकि "अरिगाटो" जापानीज़ में।
यहाँ इमोटो कुछ अन्य प्रभाव अपनी खोज के दौरान देखे:-
जल स्वच्छ पहाड़ों के स्रोतों/चश्मों और धाराओं के बहुत ही खुबसूरत क्रिस्टलीय संरचना के रूप में रहते हैं जबकि प्रदूषित या ठहरे हुए जल भद्दी शक्ल के/ विरूपित और बिगड़े हुए रूप में होते हैं।
अन्य उदाहरण :-
एडोल्फ़ हिटलर
"You fool" label चिपका हुआ बोतल जिसमें उबला जल भरा हुआ है।
और एक बोतल पानी में जब भारी धात्विक धुन बजाई गयी।
यह दोनों एक ही प्रकार की संरचना उत्पन्न करती है। इसका अर्थ तो आप समझ ही सकते हैं। कि ये संगीतज्ञ हमें Fool बनाते हैं।
यह रूप परिवर्तन यह दिखाता है कि जल ना केवल सरल सहानुभूति भावों/कम्पन बल्कि एक बुधिमत्ता भी प्रदर्शित करता है जैसे जल हमसे कह रहा है : तुमने नहीं देखा कि हम तुम्हें जानते हैं ? हम यहाँ हैं और हम समझते हैं हम आपका अभिवादन करते हैं।
प्रत्येक दिन ३० दिनों के लिए, डॉ ने इन शब्दों को प्रत्येक ज़ार के पास कहे।
३० दिनों बाद परिणाम -
"I Love You" लिखा चावल अभी भी सफ़ेद था पर "You Fool" लिखा चावल सड़ गया और काला हो गया था। आप इसकी व्याख्या कैसे कर सकते हैं ?
अब मैं अपने भोजन पर प्रार्थना करता हूँ तब मैं यह जानता हूँ कि आण्विक स्तर तक पदार्थ का रूपांतरण होता है जिसके लिए मैं प्रार्थना करता हूँ।
टेबल पर रखे भोजन और जल को मैं कहता हूँ- "Be Blessed"
And I expect it to be blessed.
जापानीज़ छात्रों ने तीन बर्तन में पानी भरा और उनमें चावल उगाये।
पहले को धनात्मक/सकारात्मक शब्द "LOVE" के साथ।
दूसरे को नकारात्मक/ ऋणात्मक शब्द "IDIOT" के साथ।
और तीसरे पर किसी भी प्रकार का label नहीं लगाया।
परिणाम
पहला- बहुत स्वादिष्ट धान
दूसरा - बगैर स्वाद के और
तीसरा- सड़े-गले चावल उत्पन्न हुए।
क्या आप भी जल से बने हुए हैं?
जी हाँ! हमारे शरीर का ७२% जल से बना हुआ है। कल्पना कीजिये आपके शब्द आपके शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं जब आप कहते हैं
"मैं एक हारा हुआ हूँ " "I am a failure"
या "मैं एक निराशवादी हूँ " "I am hopeless"
या फिर" मैं कभी स्वस्थ नहीं हो सकता " "I won't get well"
कल्पना कीजिये ये वाक्य/शब्द आपके स्वास्थ्य को कितना प्रभावित करते हैं।
हमेशा सकारात्मक शब्द और अच्छे शब्दों का प्रयोग करें।
हमेशा यह कहें-
"मैं बहुत ही अद्भुत हूँ"
"मैं बहुत सुन्दर हूँ"
"मैं ईश्वर की संतान हूँ"
और "ईश्वर के पास मेरी जिन्दगी के लिए बहुत ही खुबसूरत योजना है"
इमोटो आश्वस्त हुए कि प्रकृति की Life-Phenomena "प्रेम और कृतज्ञता " पर आधारित है।
उन्होंने व्याख्या की जल का एक अणु H2O एक ऑक्सीजन और दो हाइड्रोजन परमाणु से बना है। ऑक्सीजन परमाणु आग और क्रियाशीलता का प्रतीक है यह "प्रेम" के अर्थ में है।
हाइड्रोजन "कृतज्ञता" का प्रतीक है।
इमोटो ने इससे यह निष्कर्ष निकला कि सिर्फ कृतज्ञता (H2) के दो बार उत्पन्न होने से ही "प्रेम" (O) सक्रिय आकृति ले सकता है और इसका प्रभाव है यह खूबसूरत क्रिस्टल है।
Dethrone the lies in your mind. अपनी शक्ति से अपने दिमाग के सारे झूठ निकाल दो।
कहो ,"मैं खुबसूरत हूँ "
कहो,"मैं एक अद्भुत व्यक्ति हूँ"
कहो,"मैं अध्यात्मिक हूँ "
"मैं बलवान हूँ"
"मुझे ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त है"
इमोटो के कुछ अन्य प्रयोग
Tibet Sutra
मासारू इमोटो के इस असाधारण कार्य के प्रदर्शन व उनके कहे अनुसार हम स्वयं को और इस धरती को बदल सकते हैं।
अब हमारे पास बेहतर साक्ष्य है कि हम स्वयं और इस सृष्टि को सकारात्मक विचार और इस विचार को कार्य रूप में परिणित कर स्वास्थ्य बना सकते हैं।
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4 comments:
BAHUT HI GYANVARDHAK JAANKARI
waah! roshni bahut hi achcha lekh hai yeh to.
kitni baaten maluum huin...sakaratmak soch ka kaise prabhaav padta hai ..in tasveereon aur is research se maluum hua.
--very very well written.
--Bharat darshan ke sticker ko yahan sthan diya aap ne.
thanks a lot.
Thank u so much.
Sakaratmak vichar hi achha swathya de sakte hai
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