एक बार एक दिव्य मानव ने धरती की सैर की योजना बनाई...
धरती का हाल उनसे छुपा ना था..सबसे पहले वे एक विशेष समूह के पास गए जो स्वयं को हिंदू कह रहे थे और दूसरे समूह की निंदा कर रहे थे जैसे ही उन्होंने उस मानव को देखा तो उन्होंने उनसे पूछा, आप कौन हैं?उन्होंने उत्तर दिया - "मैं भगवान हूँ...तुम आपस में क्यों लड़ रहे हो?"
देखो ना भगवान जी, ये दूसरे धर्म और मजहब के लोग आपको बदनाम कर रहे हैं इससे हिंदुत्व खतरे में आ जायेगा इसलिए हम अपने धर्म और आपकी इज्जत और रक्षा के लिए लड़ रहे हैं.."अच्छा !"...भगवान ने उत्तर दिया.
अब दिव्य मानव ने दूसरे समूह की ओर रुख किया वहाँ भी वही हाल था..उन लोगों ने पूछा "कौन हो तुम ब्रदर ?
"मैं हूँ " God... और तुम सब आपस में क्यों लड़ रहे हो?"
देखिये ना God दूसरे धर्म और मजहब के कारण आपका अस्तित्व और क्रिश्चन धर्म खतरे में दिख रहा है हम आपकी रक्षा के लिए लड़ रहे हैं...
"अच्छा ?" God ने जवाब दिया और मुस्कुराते हुए चले गए...
तत्पश्चात उन्होंने एक तीसरे समूह की ओर प्रस्थान किया...वहाँ भी वही हाल था...उन्होंने फिर वही सवाल दोहराया.."आप कौन हैं जनाब?"
"मैं हूँ अल्लाह और आप सब क्यों लड़ रहे हो?"
देखिये ना अल्लाह जी...दूसरे मजहब और धर्म के लोगों ने इस्लाम को बदनाम करने की घिनौनी साजिश कर रहे हैं उन जालिमों से आपकी रक्षा के लिए हम लड़ रहे हैं.
"अच्छा?" अल्लाह जी मुस्कुराकर जवाब दिये l
अब उन्होंने इन तीनों समूह को एक साथ बुलाया और पूछा,
पानी का अर्थ क्या होता है ?
किसी ने कहा जल, किसी ने कहा वाटर तो किसी ने कहा नीर और एक ने कहा ماء/ दबाक ...
अब उस दिव्य मानव ने जवाब दिया..
"अरे भ्रमित इंसानों पानी का मतलब होता है जो प्यास बुझाती है... जिस दिन तुम शब्दों के अर्थ तक पहुँचना सीख जाओगे उस दिन तुम मेरा अर्थ भी समझ जाओगे... "