चाँद ....गहन अंधकार में...
चाँद ...धीमी धीमी रोशनी में भीगा हुआ...
चाँद... पूरी तरह से प्रकाशित
========
हर समय वह पूर्ण था|
दूसरा जो रूप था वह दिखने तो अपूर्ण था पर हर स्थिति उसकी खूबसूरत थी..और जब वह पूरी तरह से प्रकाशित हुआ तो वह अपने सौंदर्य की चरम सीमा में था...
पर वह हर समय पूर्ण ही था|
अपूर्णता देखने वाले की दृष्टि में थी पर वह यथार्थ में "पूर्णता" को प्राप्त था|
चाँद ...धीमी धीमी रोशनी में भीगा हुआ...
चाँद... पूरी तरह से प्रकाशित
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हर समय वह पूर्ण था|
दूसरा जो रूप था वह दिखने तो अपूर्ण था पर हर स्थिति उसकी खूबसूरत थी..और जब वह पूरी तरह से प्रकाशित हुआ तो वह अपने सौंदर्य की चरम सीमा में था...
पर वह हर समय पूर्ण ही था|
अपूर्णता देखने वाले की दृष्टि में थी पर वह यथार्थ में "पूर्णता" को प्राप्त था|