Saturday, May 25, 2019

जीत या हार?

ऐसा लग रहा है कि हम जनता जीत के भी हार गए हैं (ये मेरा अपना मानना है, अभी जागृतिक्रम में हूँ व समझने का प्रयास कर रही हूँ )। अगर यह जीत का आधार अच्छे कार्य होते तो उनको भी स्वयं में विश्वास होता। पर यहाँ जीत के लिए जाति, धर्म, संप्रदाय, देश सुरक्षा का प्रयोग करना पड़ा...और सबसे ज्यादा "भय कारक" (fear factor) दिखा। और हर बार यह प्रयोग काम नहीं करेगा।

कोई भी अच्छा राजनेता कोशिश करता है कि जनता उसे उसके अच्छे कार्यों पर उसे वोट करें न कि गलत आधारों पर... पर जैसे ही उसे सत्ता का लालच दिखता है तो वह उसे हथियाने के लिए कोई भी तरीका अपनाता है। 
उदाहरण- हाल ही के विधानसभा के चुनाव में एक बेहतर कार्य करने वाली पार्टी (आपके मानने/ मान्यता के अनुसार ) बूरी तरह से हारी।
इतना अच्छा कार्य ( उनकी मान्यतानुसार) करने के बावजूद उस हार से लगभग सभी टूट चुके थे तो इस बार विकास के बजाय चुनाव के मुद्दे का आधार कुछ और ही हो गया। क्यों? क्योंकि उन्होंने यह मान लिया कि हम जनता को अच्छे काम से ज्यादा कोई मतलब नहीं होता। हम सिर्फ तात्कालिक वातावरण से प्रभावित होकर वोट देते हैं।

आगे उम्मीद है कि हम जनता मूलभूत आवश्यकताओं (शिक्षा -चेतना विकास हेतु, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, उत्पादन जैसे विषयों ) पर जो वास्तव में बेहतर व गंभीरता से कार्य कर रहे हैं उन्हें आगे काम करने का अवसर देंगी। 

जैसे हम (जनता) वैसी हमारी सरकार :)
आप सभी को बहुत बहुत बधाइयाँ :)
आशा है कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार आवश्यक मुद्दों पर बेहतर कार्य करेंगी, साथ ही यह भी निवेदन है कि अन्य पार्टी जो भी अच्छे कार्य कर रहे हैं उसे सहयोग दिया जाए, यदि कोई योग्य व्यक्ति अच्छा कार्य करे तो उससे महत्वपूर्ण पद दिया जाए।

हर हाल में "मानवीयतापूर्ण आचरण" के लक्ष्य को केंद्र में रखने व कैसे हमारा देश अन्य देशों के लिए "मानवीयतापूर्ण आचरण" का एक अच्छा उदाहरण/ स्रोत बने इस पर गंभीरता से सभी को मिल जुल कर कार्य व सहयोग करने की आवश्यकता है।  

सादर प्रणाम 


(अस्तित्व में न जीत है न हार है...सब साथ साथ हैं, harmony में हैं, बस एक मानव अवस्था को छोड़कर... जिस क्षण से मानवीयता की जीत होगी उस पल से सही मायने में वास्तविक जीत शुरू होगी)

Thursday, May 16, 2019

खुश होने के लिए या खुश होकर काम करें?

वर्तमान में बच्चों में पढ़ाई के दबाव से आत्महत्या की प्रवृत्ति चिंता का विषय है।
जीवन में कई बार उतार चढ़ाव आते रहते हैं और आत्महत्या से यदि को कोई समाधान निकलता तो हर कोई करता।
दिन भर विचार इसी पर चल रहा था कि एक बच्चा दबाव में आत्महत्या कर लेता वही एक दूसरा बच्चा या व्यक्ति कितना भी दबाव हो उसे वह दबाव ही नहीं लगता। क्यों?
क्योंकि वह हर काम खुश होकर करता है और खुशी में हजारों काम बगैर पलक झपकाए उत्साह के साथ कर सकते हैं।
यहाँ जिन बच्चों ने आत्महत्या के कदम उठाए उनको सुनने पर यह ज्ञात हुआ कि वे जो भी कर रहे थे माता- पिता के दबाव से कर रहे थे। वे उसे अपनी खुशी से नहीं कर रहे थे।
https://www.facebook.com/bhupendrakhidia/videos/680309032405055/
ऐसा नहीं है कि माता-पिता को अपने बच्चों से प्रेम नहीं वे उनका भला नहीं चाहते हैं पर कहीं तो कुछ गैप है उसे समझने की आवश्यकता है।
समाधान ये हो सकता है कि या तो आप जो उसके भले के लिए सोचते हैं उसे संवाद के माध्यम से उसके सामने रखने का प्रयास करें। उसे हर आयाम से बताया जाए कि उसके लिए मेरा (माता-पिता) यह सोचना क्यों सही है? कैसे सही है? उसे अनेक उदाहरण दिये जाए।
फिर यदि वह आपकी बात से स्वीकृत होकर उसे स्वीकारता है तब ठीक है फिर उसे बराबर मार्गदर्शन देते रहिए। पर हर समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बने। दबाव मतलब शासन और शासन किसी को स्वीकार नहीं।
हाँ अगर आपके (माता-पिता) ऊपर यदि आपके बच्चे की 100% स्वीकृति है तो वह आपके हर बात को सहर्ष स्वीकार कर लेगा क्योंकि उसे पता है कि आप जो भी कदम उठा रहे हैं उसके भले के लिए है।
दूसरा समाधान ये हो सकता है कि बच्चा जिस भी विषय में interest रखता हो उस पर आप खोज करिए कि कैसे वह विषय उसके व्यक्तित्व के विकास में उसे मदद कर सकता है। और उसके सामने वह विषय कैसे उसके लिए उपयोगी हो सकता है इसका पूरा structure सामने रख दे। यह उसके लिए बेहद मदद गार होगा।
बच्चों को हम ऐसे यूं ही नहीं छोड़ सकते कि उसे जो पसंद वही करे और हम चुप चाप शांति से बैठ जायें! ...बेशक वह वही करे पर हमें अच्छे से खोजबीन करना होगा कि उसकी पसंद को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ताकि वह उसकी जिंदगी जीने में काम आए।
यदि आप confuse हो तो counselling भी कर सकते हैं।
किसी अच्छे counselor का पता कर उनसे संपर्क किया जा सकता है।इससे आपको बहुत मदद मिलेगी....

मुख्य बात यह है कि हमारी संतान कोई भी काम खुश होकर करें। हमारी संतान ही नहीं हमें भी इस बात को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
आवश्यकता है कि नहीं जाँच लीजिये :)







चित्र साभार:https://www.ndtv.com/delhi-news/india-which-has-long-focused-on-student-success-now-offers-happiness-classes-1887803?fbclid=IwAR18KNZ4AJ_hjUx1GXGrTuYpUpjMwwVhcIuao779fHX2f9scCQtT9OLTV_8
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आपके सुझावों का स्वागत है।