वर्तमान में बच्चों में पढ़ाई के दबाव से आत्महत्या की प्रवृत्ति चिंता का विषय है।
जीवन में कई बार उतार चढ़ाव आते रहते हैं और आत्महत्या से यदि को कोई समाधान निकलता तो हर कोई करता।
दिन भर विचार इसी पर चल रहा था कि एक बच्चा दबाव में आत्महत्या कर लेता वही एक दूसरा बच्चा या व्यक्ति कितना भी दबाव हो उसे वह दबाव ही नहीं लगता। क्यों?
क्योंकि वह हर काम खुश होकर करता है और खुशी में हजारों काम बगैर पलक झपकाए उत्साह के साथ कर सकते हैं।
यहाँ जिन बच्चों ने आत्महत्या के कदम उठाए उनको सुनने पर यह ज्ञात हुआ कि वे जो भी कर रहे थे माता- पिता के दबाव से कर रहे थे। वे उसे अपनी खुशी से नहीं कर रहे थे।
https://www.facebook.com/bhupendrakhidia/videos/680309032405055/
ऐसा नहीं है कि माता-पिता को अपने बच्चों से प्रेम नहीं वे उनका भला नहीं चाहते हैं पर कहीं तो कुछ गैप है उसे समझने की आवश्यकता है।
समाधान ये हो सकता है कि या तो आप जो उसके भले के लिए सोचते हैं उसे संवाद के माध्यम से उसके सामने रखने का प्रयास करें। उसे हर आयाम से बताया जाए कि उसके लिए मेरा (माता-पिता) यह सोचना क्यों सही है? कैसे सही है? उसे अनेक उदाहरण दिये जाए।
फिर यदि वह आपकी बात से स्वीकृत होकर उसे स्वीकारता है तब ठीक है फिर उसे बराबर मार्गदर्शन देते रहिए। पर हर समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बने। दबाव मतलब शासन और शासन किसी को स्वीकार नहीं।
हाँ अगर आपके (माता-पिता) ऊपर यदि आपके बच्चे की 100% स्वीकृति है तो वह आपके हर बात को सहर्ष स्वीकार कर लेगा क्योंकि उसे पता है कि आप जो भी कदम उठा रहे हैं उसके भले के लिए है।
दूसरा समाधान ये हो सकता है कि बच्चा जिस भी विषय में interest रखता हो उस पर आप खोज करिए कि कैसे वह विषय उसके व्यक्तित्व के विकास में उसे मदद कर सकता है। और उसके सामने वह विषय कैसे उसके लिए उपयोगी हो सकता है इसका पूरा structure सामने रख दे। यह उसके लिए बेहद मदद गार होगा।
बच्चों को हम ऐसे यूं ही नहीं छोड़ सकते कि उसे जो पसंद वही करे और हम चुप चाप शांति से बैठ जायें! ...बेशक वह वही करे पर हमें अच्छे से खोजबीन करना होगा कि उसकी पसंद को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ताकि वह उसकी जिंदगी जीने में काम आए।
यदि आप confuse हो तो counselling भी कर सकते हैं।
किसी अच्छे counselor का पता कर उनसे संपर्क किया जा सकता है।इससे आपको बहुत मदद मिलेगी....
मुख्य बात यह है कि हमारी संतान कोई भी काम खुश होकर करें। हमारी संतान ही नहीं हमें भी इस बात को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
आवश्यकता है कि नहीं जाँच लीजिये :)
चित्र साभार:https://www.ndtv.com/delhi-news/india-which-has-long-focused-on-student-success-now-offers-happiness-classes-1887803?fbclid=IwAR18KNZ4AJ_hjUx1GXGrTuYpUpjMwwVhcIuao779fHX2f9scCQtT9OLTV_8
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आपके सुझावों का स्वागत है।
जीवन में कई बार उतार चढ़ाव आते रहते हैं और आत्महत्या से यदि को कोई समाधान निकलता तो हर कोई करता।
दिन भर विचार इसी पर चल रहा था कि एक बच्चा दबाव में आत्महत्या कर लेता वही एक दूसरा बच्चा या व्यक्ति कितना भी दबाव हो उसे वह दबाव ही नहीं लगता। क्यों?
क्योंकि वह हर काम खुश होकर करता है और खुशी में हजारों काम बगैर पलक झपकाए उत्साह के साथ कर सकते हैं।
यहाँ जिन बच्चों ने आत्महत्या के कदम उठाए उनको सुनने पर यह ज्ञात हुआ कि वे जो भी कर रहे थे माता- पिता के दबाव से कर रहे थे। वे उसे अपनी खुशी से नहीं कर रहे थे।
https://www.facebook.com/bhupendrakhidia/videos/680309032405055/
ऐसा नहीं है कि माता-पिता को अपने बच्चों से प्रेम नहीं वे उनका भला नहीं चाहते हैं पर कहीं तो कुछ गैप है उसे समझने की आवश्यकता है।
समाधान ये हो सकता है कि या तो आप जो उसके भले के लिए सोचते हैं उसे संवाद के माध्यम से उसके सामने रखने का प्रयास करें। उसे हर आयाम से बताया जाए कि उसके लिए मेरा (माता-पिता) यह सोचना क्यों सही है? कैसे सही है? उसे अनेक उदाहरण दिये जाए।
फिर यदि वह आपकी बात से स्वीकृत होकर उसे स्वीकारता है तब ठीक है फिर उसे बराबर मार्गदर्शन देते रहिए। पर हर समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि उस पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बने। दबाव मतलब शासन और शासन किसी को स्वीकार नहीं।
हाँ अगर आपके (माता-पिता) ऊपर यदि आपके बच्चे की 100% स्वीकृति है तो वह आपके हर बात को सहर्ष स्वीकार कर लेगा क्योंकि उसे पता है कि आप जो भी कदम उठा रहे हैं उसके भले के लिए है।
दूसरा समाधान ये हो सकता है कि बच्चा जिस भी विषय में interest रखता हो उस पर आप खोज करिए कि कैसे वह विषय उसके व्यक्तित्व के विकास में उसे मदद कर सकता है। और उसके सामने वह विषय कैसे उसके लिए उपयोगी हो सकता है इसका पूरा structure सामने रख दे। यह उसके लिए बेहद मदद गार होगा।
बच्चों को हम ऐसे यूं ही नहीं छोड़ सकते कि उसे जो पसंद वही करे और हम चुप चाप शांति से बैठ जायें! ...बेशक वह वही करे पर हमें अच्छे से खोजबीन करना होगा कि उसकी पसंद को और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ताकि वह उसकी जिंदगी जीने में काम आए।
यदि आप confuse हो तो counselling भी कर सकते हैं।
किसी अच्छे counselor का पता कर उनसे संपर्क किया जा सकता है।इससे आपको बहुत मदद मिलेगी....
मुख्य बात यह है कि हमारी संतान कोई भी काम खुश होकर करें। हमारी संतान ही नहीं हमें भी इस बात को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
आवश्यकता है कि नहीं जाँच लीजिये :)
चित्र साभार:https://www.ndtv.com/delhi-news/india-which-has-long-focused-on-student-success-now-offers-happiness-classes-1887803?fbclid=IwAR18KNZ4AJ_hjUx1GXGrTuYpUpjMwwVhcIuao779fHX2f9scCQtT9OLTV_8
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आपके सुझावों का स्वागत है।
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