यह घटना ग्राम छुरिया, जिला राजनांद गाँव, छत्तीसगढ़ प्रदेश के समीप की है। यहाँ एक आदमखोर बाघिन ने आतंक मचा रखा था। जैसे ही यह वन विभाग के जाल में फँसी वैसे ही सैकड़ों ग्रामीणों ने उसे वन विभागिय अमले के सामने ही पिट- पिट कर मार डाला और यह वन विभाग हमारे राष्ट्रिय पशु की रक्षा ना कर पाया। मुश्किल से छत्तीसगढ़ के वनों में १३ बाघ - बाघिन होने के प्रमाण मिले हैं जिसमें से २ की मौत हो चुकी।
किस बात की सजा मिली इस बेजुबान प्राणी को? क्योंकि वह आदमखोर हो चुकी थी? वह तो उसका स्वाभाव ही है वह घास नहीं खा सकती। मनुष्यों की करनी तो देखिये! पाताल, धरती और आकाश किसी को नहीं छोड़ा। हर जगह अपनी ही धौंस जमाना चाहता है। कहाँ जायेंगे ये जीव जंतु?
हम रोज कत्लखानों में हजारों बेजुबान निरीह बेकुसूर प्राणियों को भोजन के नाम पर क़त्ल किये जा रहे हैं क्या किसी प्राणी ने तुमसे तुम्हारे इस घिनौने अपराध का बदला लिया?...... नहीं ना?
फिर क्यों मारा एक बाघिन को? वह भी पकड़ में आने के बाद?
यदि तुमको मारना ही है और यदि हिम्मत है तो उन राक्षसों को मारो जो तुम्हें हर रोज शराब पिला कर हर तरफ से मारता है, रोज महँगाई, गरीबी और बेकारी से मारता है। इन कुछ हैवानों ने पूरी धरती को बर्बाद कर रखा है। क्या तुम अंधे हो चुके हो? भेड़ की खाल में छुपे भेड़ियों को पहचानो!
हे मनुष्यों! प्रेम और समझदारी से जीना और रहना सीखो। इस धरती की प्रत्येक इकाई का महत्त्व और उपयोगिता को समझो। धरती माँ से और उसकी सम्पदा से प्रेम व उनका सम्मान करो।
5 comments:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
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सुन्दर प्रस्तुति पर
बहुत बहुत बधाई ||
अच्छी प्रस्तुति।
इसे भी पढें आप,
http://atulshrivastavaa.blogspot.com/2011/09/blog-post_25.html
सही लिखा है आपने... इस घटना ने काफी उद्वेलित किया है....
"एक जानवर की जान आज इंसानों ने ली है....." गूंज के रह गया...
सार्थक प्रस्तुति...
सादर....
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