मानव का ह्रदय क्यों चित्कार उठता है जीव हत्या देखकर?
क्या माँसाहारी पशुओं में दया, करुणा और प्रेम की भावना होती है?
इन प्रश्नों के कुछ जवाब मुझे प्राप्त हुए।
*पंजे-
माँसाहारी-इनके पंजे शिकारियों की तरह होते हैं नुकीले धारधार।
शाकाहारी और मनुष्य- इनके पंजे इस प्रकार नहीं होते।
माँसाहारी-इनके पंजे शिकारियों की तरह होते हैं नुकीले धारधार।
शाकाहारी और मनुष्य- इनके पंजे इस प्रकार नहीं होते।
*स्वेद ग्रंथि-
माँसाहारी-इनमें स्वेद ग्रंथि /त्वचा में रोम छिद्र नहीं होते तो ये जीभ के माध्यम से शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं।
शाकाहारी और मनुष्य-इनके शरीर में रोम छिद्र /स्वेद ग्रंथियां उपस्थित होती हैं और ये पसीने के माध्यम से अपने शरीर का तापमान नियंत्रित रखते हैं।
माँसाहारी-इनमें स्वेद ग्रंथि /त्वचा में रोम छिद्र नहीं होते तो ये जीभ के माध्यम से शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं।
शाकाहारी और मनुष्य-इनके शरीर में रोम छिद्र /स्वेद ग्रंथियां उपस्थित होती हैं और ये पसीने के माध्यम से अपने शरीर का तापमान नियंत्रित रखते हैं।
*दाँत-
माँसाहारी- इनमें चिड़फाड़ के लिए नुकीले दाँत होते हैं पर चपटे मोलर दाँत जी चबाने/पिसने के काम आते हैं नहीं होते।
शाकाहारी और मनुष्य- दोनों में तेज नुकीले दाँत नहीं होते जबकि इनमें मोलर दाँत होते हैं।
माँसाहारी- इनमें चिड़फाड़ के लिए नुकीले दाँत होते हैं पर चपटे मोलर दाँत जी चबाने/पिसने के काम आते हैं नहीं होते।
शाकाहारी और मनुष्य- दोनों में तेज नुकीले दाँत नहीं होते जबकि इनमें मोलर दाँत होते हैं।
*आहारनालतंत्र-
माँसाहारी- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के ३ गुनी होती है ताकि पचा हुआ मांस शरीर से जल्द निकल सके।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के १०-१२ गुनी लम्बी होती है।
माँसाहारी- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के ३ गुनी होती है ताकि पचा हुआ मांस शरीर से जल्द निकल सके।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के १०-१२ गुनी लम्बी होती है।
*पाचक रस
माँसाहारी- इनमें बहुत ही तेज पाचक रस (HCl- हैड्रोक्लोरिक अम्ल ) होता है जो मांस को पचाने में सहायक है।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें पाचक रस (अम्ल) माँन्साहारियों से २० गुना कमजोर होती है।
माँसाहारी- इनमें बहुत ही तेज पाचक रस (HCl- हैड्रोक्लोरिक अम्ल ) होता है जो मांस को पचाने में सहायक है।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें पाचक रस (अम्ल) माँन्साहारियों से २० गुना कमजोर होती है।
*लार ग्रंथि -
माँसाहारी- इनमें भोजन के पाचन के प्रथम चरण के लिए अथवा भोजन को लपटने के लिए आवश्यक लार ग्रंथियों की आवश्यकता नहीं है।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें अनाज व फल के पाचन के प्रथम चरण हेतु मुख में पूर्ण विकसित लार ग्रंथि उपस्थित होते हैं।
माँसाहारी- इनमें भोजन के पाचन के प्रथम चरण के लिए अथवा भोजन को लपटने के लिए आवश्यक लार ग्रंथियों की आवश्यकता नहीं है।
शाकाहारी और मनुष्य- इनमें अनाज व फल के पाचन के प्रथम चरण हेतु मुख में पूर्ण विकसित लार ग्रंथि उपस्थित होते हैं।
*लार-
मांसाहारियों - में अनाज के पाचन के प्रथम चरण में आवश्यक एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में अनुपस्थित होती है। इनका लार अम्लीय प्रकृति की होती है।
शाकाहारी और मनुष्य- में एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में उपस्थित होती है व इनका लार क्षारीय प्रकृति की होती है।
मांसाहारियों - में अनाज के पाचन के प्रथम चरण में आवश्यक एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में अनुपस्थित होती है। इनका लार अम्लीय प्रकृति की होती है।
शाकाहारी और मनुष्य- में एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में उपस्थित होती है व इनका लार क्षारीय प्रकृति की होती है।
यह चार्ट A.D. Andrews, Fit Food for Men, (Chicago: American Hygiene Society, 1970) पर आधारित है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया यह site जरूर देखें:-
http://www.celestialhealing.net/physicalveg3.htm
इसके अलावा एक और बात मैंने गौर की है वह है इनके पानी पीने के तरीके....अधिक जानकारी के लिए कृपया यह site जरूर देखें:-
http://www.celestialhealing.net/physicalveg3.htm
क्या आपने कभी यह गौर किया है ?
मांसाहारी पशु अपने जीभ से चांट कर पानी /द्रव पीते हैं जबकि शाकाहारी और मनुष्य मुँह से पानी पीते हैं।
इन कुछ उदहारण को देखकर बताइए कि मनुष्य शाकाहारी है या मांसाहारी ?
अपनी अंतरात्मा से पूछिए जवाब जरूर मिलेगा........
यदि एक भी मनुष्य इस लेख को पढ़कर अपने को बदल सके तो यह मनुष्यता की जीत होगी ........
**************
एक महत्वपूर्ण टिपण्णी Creative Manch से -
प्रिय रोशनी जी आपने बहुत सुन्दरता से अपनी पोस्ट तैयार की ! आशा है इस पोस्ट का अपेक्षित प्रभाव पाठकों पर पड़ेगा ! एक बात और भी है जो हम बताना चाहेंगे ! अकसर मांसाहारी लोग स्वाद का गुणगान करते हैं ! जबकि यह बात बेमानी है ! हम जिस तरह शाकाहारी चीजें जैसे- मटर, गोभी, भिन्डी, मूली, प्याज, इत्यादि कच्चा खा सकते हैं, उसी तरह मांस नहीं खा सकते ! क्योंकि मांस का अपना कोई स्वाद नहीं होता ! सारा कमाल सिर्फ मसालों का होता है जो मांस पकाने में प्रयुक्त किया जाता है !
Creative Manch आपका सहृदय आभार....
3 comments:
I got pictures from googel. so many thanks to google.And thanks to A.D. Andrews whose article helps me lot.
प्रिय रोशनी जी
आपने बहुत सुन्दरता से अपनी पोस्ट तैयार की ! आशा है इस पोस्ट का अपेक्षित प्रभाव पाठकों पर पड़ेगा !
एक बात और भी है जो हम बताना चाहेंगे ! अकसर मांसाहारी लोग स्वाद का गुणगान करते हैं ! जबकि यह बात बेमानी है ! हम जिस तरह शाकाहारी चीजें जैसे- मटर, गोभी, भिन्डी, मूली, प्याज, इत्यादि कच्चा खा सकते हैं, उसी तरह मांस नहीं खा सकते ! क्योंकि मांस का अपना कोई स्वाद नहीं होता ! सारा कमाल सिर्फ मसालों का होता है जो मांस पकाने में प्रयुक्त किया जाता है !
शुभ कामनाएं
बहुत ज्ञान वर्धक पोस्ट....आभार आपका इस जानकारी के लिए...
नीरज
Post a Comment