हाँ, यही शब्द थे एक विदेशी पर्यटक के जब वह भारत घुमने आया।
जब कोई विदेशी पर्यटक भारत सैर करने आते हैं तो उन्हें सुन्दर दृश्यों के अलावा जगह जगह फैले कूड़े भी देखने को मिलते हैं उनको भी वे बड़े आश्चर्य से देखते हैं और अपने कैमरे में कैद करते हैं यह मैंने बहुत पहले बनारस में देखा था।
हमें तो आदत हो गई है ऐसे रहने की..... तो किसी को फर्क को फर्क नहीं पड़ता ना तो जनता और ना ही सरकार को।
मैंने देखा है होलिका दहन के दिन, बच्चे कूड़े करकट के बीच होलिका दहन की तैयारी कर रहे थे और आश्चर्य की बात तो यह भी थी कि उनके माता-पिता भी इसमें शामिल थे उन्हें इस बात कि ज़रा भी परवाह नहीं थी कि उनके बच्चे संक्रमित हो जायेंगे।
ओह! शायद अपने बच्चों कि प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा रहे होंगे।
कभी शहरों के तालाबों और उनमें नहाते लोगों को देखा है?
अगर हम उसमें नहायें तो क्या होगा? कल्पना कीजिये...
ओहो! माफ़ करिए!
ओह! शायद अपने बच्चों कि प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा रहे होंगे।
कभी शहरों के तालाबों और उनमें नहाते लोगों को देखा है?
अगर हम उसमें नहायें तो क्या होगा? कल्पना कीजिये...
ओहो! माफ़ करिए!
क्या बात कर रहे थे और हम कहाँ पहुँच गए?
तो हाँ हम उस पर्यटक कि बात कर रहे थे ...
उसने सोचा भारत यदि देखना है तो हवाई जहाज के बजे ट्रेन का सफ़र ठीक रहेगा।
फिर क्या था? निकल पड़े ट्रेन से सवारी करने।
हर स्टेशन आने के पहले असहनीय बदबू ....
उफ़! क्या है यह?
उसने देखा कुछ बच्चे वहीं पटरी के आस पास शौच के लिए बैठे हैं और इधर उधर फैली हुई गंदगी कि अनायास ही उसके मुख से निकल पड़ा ""India is a big latrine room!!"
तो हाँ हम उस पर्यटक कि बात कर रहे थे ...
उसने सोचा भारत यदि देखना है तो हवाई जहाज के बजे ट्रेन का सफ़र ठीक रहेगा।
फिर क्या था? निकल पड़े ट्रेन से सवारी करने।
हर स्टेशन आने के पहले असहनीय बदबू ....
उफ़! क्या है यह?
उसने देखा कुछ बच्चे वहीं पटरी के आस पास शौच के लिए बैठे हैं और इधर उधर फैली हुई गंदगी कि अनायास ही उसके मुख से निकल पड़ा ""India is a big latrine room!!"
अब उन्हें क्या मालूम कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है हमारा सब काम प्राकृतिक तरीके से होता है हम अपनी प्रकृति से बेहद प्रेम करते हैं।
पहले तो मिट्टी में एक प्रकार के जीव थे जो शौच को उपयोगी खाद में बदल देते थे अब तो खेत में कीटनाशक और यूरिया खाद के कारण वे नष्ट हो रहे हैं। शहर में तो इस प्रकार के एक भी जीव उपस्थित नहीं है।
चलिए ये सब छोड़िये!
कभी सुलभ शौचालय गए हैं ?
इसे उपयोग करने के पैसे लगते हैं अब ये बताइए इस शौचालय की जरुरत सबसे ज्यादा किसे है ?
उनको है जिसके पास खाने, पहनने और ओढ़ने तक का कोई जुगाड़ नहीं है वे इसमें अपना पैसा क्यों लगायेंगे?
तो मेरा निवेदन सत्ता में बैठे लोगों से है कि कृपया आप शहरों और गांवों में बसे गरीबों में जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास करें जैसे आप चुनाव के समय करते हैं वैसा प्रचार करिए जनता को जरूर समझ आएगा।
और ऐसी व्यवस्था कीजिये कि "सुलभ शौचालय" उन्हें सरलता से सुलभ हो जाये और वे इनका प्रयोग कर स्वछता बनाये रखने में मदद कर सकें।
ताकि जब कोई पर्यटक हमारे देश में आये तो यह ना कहे "India is big Latrine room"
पहले तो मिट्टी में एक प्रकार के जीव थे जो शौच को उपयोगी खाद में बदल देते थे अब तो खेत में कीटनाशक और यूरिया खाद के कारण वे नष्ट हो रहे हैं। शहर में तो इस प्रकार के एक भी जीव उपस्थित नहीं है।
चलिए ये सब छोड़िये!
कभी सुलभ शौचालय गए हैं ?
इसे उपयोग करने के पैसे लगते हैं अब ये बताइए इस शौचालय की जरुरत सबसे ज्यादा किसे है ?
उनको है जिसके पास खाने, पहनने और ओढ़ने तक का कोई जुगाड़ नहीं है वे इसमें अपना पैसा क्यों लगायेंगे?
तो मेरा निवेदन सत्ता में बैठे लोगों से है कि कृपया आप शहरों और गांवों में बसे गरीबों में जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास करें जैसे आप चुनाव के समय करते हैं वैसा प्रचार करिए जनता को जरूर समझ आएगा।
और ऐसी व्यवस्था कीजिये कि "सुलभ शौचालय" उन्हें सरलता से सुलभ हो जाये और वे इनका प्रयोग कर स्वछता बनाये रखने में मदद कर सकें।
ताकि जब कोई पर्यटक हमारे देश में आये तो यह ना कहे "India is big Latrine room"
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