
करूण वेदना में कर रहे पुकार बापू जी भारत माता से.....
माँ.....
तेरी गोद मुझे पुन: पुकार रही है,
मैं पुन: तेरी सेवा को तत्पर हूँ,
पर कैसे जन्म लूँ दोबारा? ......
यहाँ कोई नहीं चाहता मेरे जैसा पुत्र.....
कहते हैं लोग गाँधी हो जरूर पर मेरे घर में नहीं दुसरे घर में ...
मैंने जो भी सिखाया बच्चों को अब वह सिर्फ व्यवहार की बाते रह गई, आचरण में शामिल करना तो मुर्खता की निशानी बन गई.....
मेरे तीन हथियार और आदर्श अब केवल इतिहास की बातें बन कर रह गई हैं....
तुम ही कहो माँ मैं कैसे जन्म लूँ दोबारा इस धरती पर?