Friday, September 30, 2011

सृष्टि

यह शब्द सुनते ही हमारे मानस पटल पर कई आकृतियाँ जन्म लेने लगती है और कई चित्र हमारे सामने आने जाने लगते हैं.....
हरे भरे लहलहाते , रंग बिरंगे फूलों और फलों से लदे वृक्ष, ऊँचें ऊँचें आकाश को चूमते पर्वत, मस्ती में उड़ते पंछी और जल में गोता लगाती हुई रंग बिरंगी मछलियाँ, समंदर में उठती मदमस्त लहरें, कलकल बहती नदियाँ, झर- झर बहते झरने, झीलोंतालाबों में खिले कमल, तैरते हंस, सूरज के उगने से डूबने तक आकाश की रंग बिरंगी छटा, रात्रि में तारों और जुगनुओं का टिमटिमाना, चंद्रमा की शीतलता, बहती पवन का स्पर्श, फूलों में मंडराती तितलियाँ, घोंसले बनाते पंछी और उन घोंसलों में इंतजार करते नन्हें बच्चे आदि आदि.......
यह कल्पना शीलता कभी समाप्त होने वाली नहीं है :)
मेरा यह सब कहने का तात्पर्य यह है कि सृष्टि की सुन्दरता को महसूस करने की क्षमता सिर्फ मानव में है बाकि सब पशु पक्षी सिर्फ अनुकूलता को पहचानते हैं। हम मनुष्य जैसी समझ या समझने की क्षमता उनमें नहीं होती वे प्रकृति के नियम- धर्मों का पालन करते हुए जीते हैं
अस्तित्व में मानव की रचना इस कारण से हुई ताकि वह सृष्टि की सुन्दरता का आस्वादन करते और उसके प्रत्येक इकाई का महत्व समझते हुए आनंदपूर्वक जी सके।
मानव में विकसित मस्तिष्क इस बात का सबूत है कि वह अपनी कल्पनाशीलता और कर्मस्वतन्त्रता का प्रयोग इस अस्तित्व को समझने और समझ के जीने में लगाये
आज का आधुनिकीकरण का परिणाम देखिये सारी जनसंख्या भ्रमवश शहरों में एकत्रित होती जा रही हैं और चारों ओर बिखरी हुई व्यवस्था......
बगैर समझ के हमने अपनी कल्पनाशीलता और कर्मस्वतन्त्रता का प्रयोग किया जिसके परिणाम दिनों- दिन हमारे सामने आते जा रहे हैं इससे मानव अस्तित्व के लिए एक बहुत ही बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
गर हमने समय रहते "समझ कर कार्य" करने को व्यवहार में ना लाया तो सृष्टि की सुन्दरता को महसूस करने वाली एकसुन्दर रचना (मानव जाति) लुप्त हो जाएगी

Saturday, September 24, 2011

राष्ट्रिय पशु की हत्या एक शर्मनाक घटना!

एक बार फिर से प्रशासनिक लापरवाही से एक बाघिन की हत्या हो गई।

यह घटना ग्राम छुरिया, जिला राजनांद गाँव, छत्तीसगढ़ प्रदेश के समीप की है। यहाँ एक आदमखोर बाघिन ने आतंक मचा रखा था। जैसे ही यह वन विभाग के जाल में फँसी वैसे ही सैकड़ों ग्रामीणों ने उसे वन विभागिय अमले के सामने ही पिट- पिट कर मार डाला और यह वन विभाग हमारे राष्ट्रिय पशु की रक्षा ना कर पाया। मुश्किल से छत्तीसगढ़ के वनों में १३ बाघ - बाघिन होने के प्रमाण मिले हैं जिसमें से २ की मौत हो चुकी।

किस बात की सजा मिली इस बेजुबान प्राणी को? क्योंकि वह आदमखोर हो चुकी थी? वह तो उसका स्वाभाव ही है वह घास नहीं खा सकती। मनुष्यों की करनी तो देखिये! पाताल, धरती और आकाश किसी को नहीं छोड़ा। हर जगह अपनी ही धौंस जमाना चाहता है। कहाँ जायेंगे ये जीव जंतु?

हम रोज कत्लखानों में हजारों बेजुबान निरीह बेकुसूर प्राणियों को भोजन के नाम पर क़त्ल किये जा रहे हैं क्या किसी प्राणी ने तुमसे तुम्हारे इस घिनौने अपराध का बदला लिया?...... नहीं ना?

फिर क्यों मारा एक बाघिन को? वह भी पकड़ में आने के बाद?

यदि तुमको मारना ही है और यदि हिम्मत है तो उन राक्षसों को मारो जो तुम्हें हर रोज शराब पिला कर हर तरफ से मारता है, रोज महँगाई, गरीबी और बेकारी से मारता है। इन कुछ हैवानों ने पूरी धरती को बर्बाद कर रखा है। क्या तुम अंधे हो चुके हो? भेड़ की खाल में छुपे भेड़ियों को पहचानो!

हे मनुष्यों! प्रेम और समझदारी से जीना और रहना सीखो। इस धरती की प्रत्येक इकाई का महत्त्व और उपयोगिता को समझो। धरती माँ से और उसकी सम्पदा से प्रेम व उनका सम्मान करो।

Friday, September 9, 2011

सतर्क रहें!

"फिर दहली दिल्ली" "हूजी ने ली जिम्मेदारी" "अफज़ल को माफ़ करो नहीं तो सुप्रीम कोर्ट को उड़ा देंगें" "१२ मरे९४ घायल"
शहीद हुई जनता को जनता की ओर से श्रद्धांजलि.....
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दोबारा हुई जनता हलाल!
तुम जनता किस पर भरोसा कर रही हो? सरकार पर? वह तो खुद ही हमारे शोषण में लगी हुई है , हमें चूस कर चूसकर जमा करने में लगी है। याद नहीं वह ४ जून वाली काली रात जब हमारी सरकार ने हमें कुचलने के लिए किसतरह का षड्यंत्र रचा था? यदि बाबा रामदेव जी सतर्क नहीं रहते तो ना जाने कितने लोग मारे जाते शायद इनविस्फोट में शहीद हुए लोगों से भी ज्यादा।
हम चारों तरफ से दुश्मनों से घिरे हुए हैं , अन्दर के और बाहर के।

हमें अब अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी और मिलकर रहना होगा। हमें जोश के साथ होश से भी काम लेना होगा।

अभी तक हम एक दूसरे को मारने में ही लगे हुए हैं चंद रुपयों के लालच में! अफ़ज़ल, कसाब ये सब तोकठपुतलियाँ हैं किसी और के हाथों की इसे समझना होगा।

जब भी काले धन का जिक्र होने लगता है या फिर अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा सामने आता है वैसे ही हमारा ध्यान अन्यबातों पर कर दिया जाता है। सबसे दुखद पहलु यह होता है कि अधिकांश मिडिया वाले इनके हाथों बिके होते हैं।

क्यों नहीं किसी मंत्री के घर बम धमाका नहीं होता? क्योंकि देश के सुरक्षा में लगे जवानों को अपनी सुरक्षा में लगालिया है? या फिर ये ही विस्फोट करवाते हैं?

इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में काले धन के मुद्दे पर बात चल रही है हो सकता है इससे जुड़े लोग और देश ने विस्फोटकरवाया हो?

खैर कारण जो भी हो हम तो रोज ही, हर पल मरते हैंभूख, महंगाई, बेगारी और कर्ज से....

मूल रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि जनहित में कौन कौन लगे हुए हैं? कौन हमें सही समझ के साथ, हमारीजड़ों को मजबूत करना चाहते चाहता है?गौर करिए और उसे मजबूत बनाइये व खुद भी बनिए।

आप समाचार पत्रों व News Channel के पिपली लाइव जैसे तमाशों में ध्यान ना लगा कर अपना दिमाग लगायें।सही वस्तुस्थिति को समझें व व्यवहार करें।

अगर आप मेरा विचार जानना चाहते हैं तो इस वक्त मुझे जो महान व्यक्तित्व और संस्था नज़र आती है और जोसही मायने में समाज सेवा कर रहे हैं, वे हैं प्रजापिता ब्रह्मकुमारी और बाबा ए नागराज जी। बाबा नागराज जीद्वारा रचित मध्यस्थ दर्शन की सहायता से मानवीय मूल्यों का जीवन में समावेश, शिक्षा के माध्यम से कियाजाने वाला प्रयास सराहनीय है।

और बाबा रामदेव जी का ग्रामोद्योग व स्वदेशी अभियान, स्वास्थ्य अभियान, भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान वकाले धन की वापसी का अभियान और बढ़ते अंग्रेजीकरण से पड़ने वाले प्रभाव की समझ सराहनीय है।

इन महान व्यक्तित्व के अलावा और भी ऐसे कई कई व्यक्तित्व होंगें जिन्हें हमें पहचान कर इनके बताये मार्ग परचलकर स्वयं को, परिवार, समाज, देश तथा विश्व को मजबूत बना सकते हैं।

वरना ये भ्रमित तत्व अज्ञानता वश हमें भूख, गरीबी, महंगाई, कर्ज, गन्दगी और चिकित्सा असुविधा में ही रखकरराज करना चाहती है।

"राज करना या शासन करना मतलब ही शोषण होता है...."

जनता का सच्चा सेवक वही होता है जो या तो स्वयं उदाहरण होता है और जीने के नए आयाम पेश करता है याफिर वह जनता की संपत्ति या दान को सही समझ के साथ समाज की भलाई में लगता है पारदर्शिता के साथ।

अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में देश ने सत्य, अहिंसा ,प्रेम और उपवास रूपी हथियार के प्रयोग का स्वाद चख लियाहै। हमने इस वक्त गाँधी क्रांति का महत्व भी समझ लिया और अपनी ताकत को भी देखा लिया है।

पर! हमें इस वक्त सतर्क रहकर सही को समझने का प्रयास करना होगा। मानवीय मूल्यों और आदर्शों को पहचानकर अपने जीवन में समावेश कर एक नए और सुदृढ़ समाज, देश और विश्व का निर्माण करना होगा। इस प्रकारएक ऐसी मानवीय परंपरा स्थापित होगी जो समस्त अस्तित्व को समझकर प्रकृति के साथ और आपस मेंतालमेल से जी पायेगी।

जय हिंद !

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भूमि स्वर्गताम यातु, मनुष्यों यातु देवताम,

धर्मो सफलताम यातु, नित्यं यातु शुभोदयम॥



भूमि स्वर्ग हो, मनुष्य देवता हों,

धर्म सफल हो, नित्यमंगल हो॥


May Earth be Heaven, May Humans be divine,

May Dharma Prevail, May Goodness Arise Forever। "बाबा श्री ए नागराज जी"