हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हमने इस धरती को बीमार किया|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हमने नदियों को दूषित किया|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम धरती के पेट फाड कर कोयले/तेल/खनिज पदार्थ इतनी तेजी से निकाल रहे हैं ताकि इस धरती की गर्मी को पचाकर रखने वाला/धरती को संतुलन करने वाली व्यवस्था ही चरमरा जाये|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम इस धरती को बर्बाद करने वाली चीजें बनाना सिख रहे हैं विज्ञान के नाम पर|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम परमाणु परिक्षण कर धरती को और भी ज्यादा गर्म कर रहे हैं ताकि धरती और मानव जाति और बाकी अवस्था सभी अपने मूल स्वरुप में आ जाये| जैसे पानी वापस हाइड्रोजन और ऑक्सीजन बन जाए|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हमारे बच्चे अब शराब, जुआ और ड्रग्स लेने लगे हैं| मतलब अब संस्कारी हो चले हैं| और बाकी सब क्या कर रहे हैं यह भी आपको सूचना रूप में पता है|ठीक है आपके बच्चे ये सब नहीं कर रहे हैं पर और जो बच्चे/ युवा हैं जिनके साथ इनका उतना बैठना है वे तो इस दलदल में फंसे हैं| कब तक आप उसे इस भयानक वातावरण से बचाकर रख सकेंगें?
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम अस्पताल में एक मृत शरीर को भी देने के लिए पैसे वसूलते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम लिंग परिक्षण करके कन्याओं की हत्या का पाप अपने सर लेते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम अपनी कलम का इस्तेमाल मानव जाति को एक करने की बजाय द्वेषपूर्ण वातावरण फ़ैलाने में करते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं... क्योंकि हम दोहरे चरित्र में जीने के आदी हो गए हैं| परदे पर एक अच्छे इंसान का किरदार निभाते हैं जबकि असलियत में हम कुछ और ही होते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हमारी फैक्ट्रियों का धुआं और राख धरती व वातावरण को जहरीला बना रहा है|
हम वे पढ़े लिखे समझदार और सुखी लोग हैं......जिनको सत्य का पता नहीं पर कर्म कांड में स्वयं के साथ अन्य को भी उलझा कर रखे हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हम सड़क बनाने के लिए हर भरे वृक्ष को बेदर्दी से काट कर उन पंछियों का जो बेजुबान है उनका आसरा छीन लेते हैं| धरती की सुरक्षा करने वाले वृक्ष को काट देते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...जिसने शिक्षा को व्यवसाय बना लिया है| बजाय बच्चों में स्वयं के प्रति आत्मविश्वास, सम्मान और मानवीयतापूर्ण आचरण विकसित कैसे हो इस पर विचार करने के|
हम वे पढ़े लिखे समझदार और सुखी लोग हैं...जो आपस में ही एक घर के नीचे रहते (लड़ाई झगडा,अविश्वास, शंका) हैं जीते नहीं|
हम वे पढ़े लिखे समझदार और सुखी लोग हैं...जो अपनी खुशी के लिए दूसरों पर आश्रित रहते हैं| अपना रिमोट कंट्रोल दूसरे के हाथ देकर खुद को समझदार और सुखी मानते हैं|
हम वे पढ़े लिखे समझदार और सुखी लोग हैं...जो कपड़े, पैसे, गहनों, गाड़ियों, बंगलों, तरह के व्यंजनों इत्यादि जो की निरंतर रहने वाली चीज नहीं है उससे निरन्तर रहने वाली चीज (सुख, सम्मान आदि) की अपेक्षा रखते हैं|
हम पढ़े लिखे लोग समझदार और सुखी हैं...क्योंकि हमें "न्याय", "धर्म", "सत्य" क्या है? इसका ज्ञान नहीं फिर भी कोर्ट में न्याय कि जगह फैसले करते हैं|
हम वे पढ़े लिखे समझदार और सुखी लोग हैं...समाज सेवा के नाम पर अपनी ही सेवा कर रहे हैं|
हम वे समझदार लोग हैं जो अपने अपने खेतों को बेचकर मल्टीनेशनल कंपनियों के गुलाम बन रहे हैं|
हम वे समझदार लोग हैं जो देशी बीजों के बजाय संकरीत बीजों का प्रयोग कर स्वयं के साथ धरती और पशुओं को भी बर्बाद कर रहे हैं|
हम वे समझदार लोग हैं जो बेतहाशा कीटनाशक का प्रयोग अपनी फसलों पर कर रहे हैं ताकि बाकियों का जो हाना हो वो तो हो पर मेरी जरूरतों के लिए धन मिल जाये भले ही मुझे यह समझ नहीं कि मेरी जरूरतें इन्हीं समाज से पूरी होती है|
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क्या अब भी हमें लगता है कि हम समझदार हैं? कि "समझदार होने की आवश्यकता है? इसे स्वयं में जाँचे|
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