Saturday, April 25, 2015

भूकंप

जब कोई भी इकाई अव्यवस्थित होती है तो व्यवस्था के अर्थ में मचती है भगदड़...चाहे वह एक इंसान की जिंदगी के अर्थ में हो चाहे किसी धरती की व्यवस्था के अर्थ में...यही नियति है और इसे स्वीकार करके स्वयं व्यवस्था में रहना ही समझदारी है| 

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