"मानव जाति सही में एक" और "मानव संबंध है मैं का मैं से, इसे बनाने की आवश्यकता नहीं, केवल परिवार में ही नहीं... हर मानव के साथ है।" "सभी मानव मेरे संबंधी है" जब तक यह भाव, दृष्टिकोण मानसिकता में नहीं तब तक उपकार भाव सहित प्राकृतिक खेती संभव नहीं!
खैर....
घर में चावल खत्म हो चुके थे। मैंने बसंत भैया (ग्राम- हिंग्नाडीह) से प्राकृतिक तरीके से उत्पादित चावल की डिमांड की। कुछ दिन बाद मीना भाभी जी द्वारा उत्पादित चावल हमारे यहाँ पहुँचा।
कुछ समय पश्चात मंजीत भैया जी द्वारा निर्मित देशी गाय का घी, मीना भाभी जी द्वारा तैयार मूंगफल्ली,गुड़ और तिल के पापड़ी,पूनम बहन जी द्वारा तैयार भूनी हुई अलसी और गोपाल भैया जी का दंतमंजन, प्रेमलता बहन जी का खाकरा (लहसून फ्लेवर), योगेश भैया जी द्वारा तैयार न्यूट्रिगेन, अवधेश भैया जी (बेमेतरा), बसंत भैया और बघेल भैया जी के पास से चावल, बालमुकुंद और विधि बहन जी तैयार कूकीज़ भी हमने लिए।
चावल की कीमत मात्र 50 रुपये, 60 रुपये, और 70 रुपये किलो था।
पहले शायद यह कीमत भी ज्यादा लग सकती थी पर अब श्रम पूर्वक प्राकृतिक विधि से उत्पादन में लगे भाई -बहनों को देखकर यह कीमत तो कुछ भी नहीं लगी।
दो प्रकार के दृश्य आँखों के सामने तैर गए...पहला वे लोग जो ए. सी. कमरे में लैपटाप पर कुछ समय बिताकर लाखों रुपये कमा लेते हैं... वहीं कुछ लोग घंटों पसीने बहाकर उत्पादन कर पाते हैं...परिणाम कभी हाथ में आता है तो कभी प्रकृति के कोप का शिकार हो जाता है।
और जो हाथ में आता है बाजार में उसकी कीमत न के बराबर होती है। जितनी कमाई होती है अक्सर उससे ज्यादा खेती में ही लग जाती है। इसलिए कई लोग प्राकृतिक तरीके को छोड़ कर रासायनिक खेती में चले जाते हैं पर इससे तो उनकी खेती और खेत दोनों को ही नुकसान पहुँच रहा है, यह बात उन्हें बहुत देर से समझ में आता है।
खैर इन सब स्थिति के बाद भी कुछ भाई बहन जो प्राकृतिक विधि से उत्पादन में लगे हुए हैं वे अपने कार्यों को खुशी- खुशी कर रहे हैं क्यों?
आप इनसे मिलकर जरूर पूछियेगा।
इनमें से कई भाई बहन मानवीय स्वावलंबन हेतु या तो प्राकृतिक खेती (आवर्तनशील खेती) पूर्वक उत्पादन में लगे हुए हैं या फिर ऐसे उत्पादों से विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार कर रहे हैं। यह सब उनके शोध का ही हिस्सा है जिसे वे जीकर देखना चाहते हैं। उसके फल- परिणाम को देखना चाहते हैं।
और ऐसे ही भाई -बहन अभ्युदय संस्थान (प्रबोधक के रूप में), अभिभावक विद्यालय रायपुर, व अभ्युदय संस्थान स्थित हाल में खुले नए विद्यालय में शिक्षक -शिक्षिका के रूप में अपनी भागीदारी कर रहे हैं...महाराष्ट्र, गुजरात, यू.पी., मध्यप्रदेश और बाकी राज्यों में भी कई भाई बहन इस प्रकार के प्रयास में लगे हुए हैं। आप सभी शिक्षा उपकार विधि से दे रहे हैं... बदले में ये कोई वेतन नहीं लेते, बल्कि स्वावलंबन विधि से जो कमाई होती है उसका कुछ अंश वे विद्यालय में ही लगाते हैं।
बाकी और शिक्षक फिलहाल अभी इस प्रकार उत्पादन नहीं कर रहे हैं पर वे भी मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं...अवसर मिलते ही वे भी स्वयं को प्रमाणित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
ऐसे सभी भाई -बहनों के प्रति कृतज्ञता का भाव अर्पित करती हूँ...
आप सभी से एक निवेदन है कि आप जिस जगह में निवास करते हैं ऐसे उपकार विधि से प्राकृतिक खेती कर उत्पादन करने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें बढ़ावा दीजिये। उन्हें प्रोत्साहित करिए।
मैं कभी भी ऐसे अमृत रूपी उत्पादन के साथ मोल भाव नहीं करती...इससे ज्यादा हम कपड़ों लत्तों में या फिर इलेक्ट्रोनिक समान में या फिर मौज मस्ती में खर्च कर देते हैं। हालाँकि "आवश्यकता" समझ में आने पर यह भी नियंत्रित हो जाता है।
जबकि ऐसे अमृत रूपी उत्पाद हमें और हमारे परिवार को स्वस्थ्य रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। स्वस्थ्य समाज के लिए व धरती की व्यवस्था बनाए रखने हेतु हमें ऐसे लोगों की अत्यंत आवश्यकता है।
याद रखिए कि आप सभी उपकार विधि से चलने को वचनबद्ध हैं, प्रयासरत है अत: हम इनके उत्पाद के बदले जो भी श्रम मूल्य देंगे वह सब उपकार (शिक्षा) में ही लग रहे हैं या लगेंगे। इस तरह से हम स्वयं की ही मदद कर रहे हैं।
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कुछ ऐसे स्थान मुझे ज्ञात है या सूचना है जहाँ भाई-बहनों ने जो या तो प्राकृतिक खेती में लगे हुए हैं या शिक्षा के साथ प्राकृतिक खेती में लगे हुए हैं (उत्पादन और शिक्षा आयाम में भागीदारी) उन्होंने अपना सामान विनिमय या क्रय -विक्रय हेतु रखा हुआ है। आप भी चाहें तो उनसे संपर्क कर सकते हैं-
मध्यस्थ दर्शन के शोधरत विद्यार्थियों द्वारा प्राकृतिक तरीके से तैयार किए गए उत्पाद। |
इन स्थानों से आप देशी गीर गाय के दूध (A 2) से बने उत्पाद, लस्सी, छाछ, पेड़ा, घी इत्यादि एवं प्राकृतिक तरीके से उत्पादित उत्पाद (Natural Farming product) अनाज, दाल, चावल, गुड़, खाखरा, फल्ली, आचार, मुरब्बा इत्यादि किराना सामान यहाँ से प्री ऑर्डर पर प्राप्त कर सकते हैं।
1. स्वायत्त कृषि गौशाला, अभ्युदय केंद्र, ग्राम -हिंगनाडीह,अहिवारा, जिला-दुर्ग (छ.ग.), मो.नं. -09893501677
2. समृद्धि, नगर निगम कॉलोनी, कृष्णा टाकीज़ रोड, समता कॉलोनी, रायपुर (छ. ग.), मो. नं.- 09009846956
3. स्वीकृति, फाफाडीह रोड, रायपुर, छ.ग. 492001, मो. नं.- 096913 59929
4. Go Organic, दीनदयाल गार्डन के पास, व्यापार विहार ज़ोन न. 1, बिलासपुर छ.ग., मो. नं.- 09009846956
5. हितार्थ स्वावलंबन केंद्र, समृद्धि विहार, बेमेतरा, छ.ग., मो. नं.- 08959974845
6. Prakriti Organics jareli, Bilaspur, Mo. No.-07748082636
7. श्री राम डेयरी एंड ऑर्गेनिक्स, शॉप नं. तिरंगा भवन, पद्मनाभपुर, दुर्ग (छ.ग.), मो. नं.- 09770187320
8. Swikritii, New Shanti Nagar Raipur 492001, Mo.No.- 090098 59091, https://www.facebook.com/swikritiraipur/
9. Shree Ram Krushna Trust, Kukma, Ta. Bhuj-Kachchh (Gujarat), mo. no. +91 94265 82810 ramkrushnatrust@gmail.com, http://shreeramkrushnatrust.org/about/
इनके अलावा आपको और ऐसे जगह पता हो तो कृपया कमेन्ट बॉक्स पर लिखिए ताकि हम सभी को इसकी जानकारी हो।
धन्यवाद
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"समग्र व्यवस्था में भागीदारी करने का तात्पर्य - मानवीय शिक्षा कार्य में, न्याय सुरक्षा कार्य में, परिवार की आवश्यकता से अधिक उत्पादन कार्य में, लाभ-हानि मुक्त विनिमय कार्य में, स्वास्थ्य-संयम कार्य में भागीदारी करने से है।" श्रद्धेय श्री ए. नागराज जी
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