क्या नज़ारें हैं....? पूरे भारत में मुश्किल से आपको कोई जगह मिलेगी जहाँ आपको इनके दर्शन नहीं होंगे ! जहाँ देखो वहीं फैले नज़र आ जाते हैं ...इनके बगैर काम भी तो नहीं चलता ना! काम आए वहां तक तो ठीक है जब उपयोग ना हो तो स्वीपर को दे दिया जाता है। अब ये स्वीपर भी जिनके मोहल्ले में आ जाए तो धन्य भाग उनके! ...अगर नहीं आए तो खाली प्लॉट है ना...आप पूछेंगे वहां क्यों डाला जाता है? अरे जनाब नगर निगम वालों ने कचरे रखने का दिया ही नहीं है तो कहाँ डालेंगे? या तो पड़ोसी का घर या तो पड़ोसी का खाली प्लॉट ... बाकि तो वो जाने क्या करेंगे कचरे का!
खैर..जाने दीजिये...
कोई तो हमें बता दीजिये की इन पोलीथिन बैगों का क्या करें?
कुछ तो समाधान होगा इनका ?
अगर इन्हें मिट्टी में डाला जाए तो यह सड़ेगा नहीं और जलाया जाए तो उससे निकलती जहरीली गैस पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है तो इसकी अमरत्वा ही गंभीर समस्या बन गई है।
अगर इस पर कोई खोज हो रही है तो बताइए...
नगर निगम वालों पर अब हमने भरोसा करना छोड़ दिया है ...
कृपया कुछ ऐसा आविष्कार करें जो एक परिवार के लिए हो। उस यन्त्र में पोलीथिन डालने से वह दोबारा उपयोग की कोई वस्तु बन जाए।
किसी एक से शुरुआत होगी और वह देखते ही देखते विस्तृत रूप ले लेगी और यह प्यारी धरती कम से कम इन पोलीथिन बैग से मुक्त हो जायेगी....
8 comments:
आज फिर आपने एक ज्वलंत मुद्दा उठाया है...दो साल पहले आयी मुंबई की बाड़ इसी पोलिथीन की थैलियों की देन थी जिसके कारण निकास की नालियाँ भर गयीं थीं...आप सदा ही बहुत विचारोतेजक बात सामने लातीं हैं...ये एक सचेत नागरिक की पहचान है...
नीरज
nice
दो गढ्ढे बनवाएँ
एक में पॉलीथीन भरें
दूसरे में इसके अलावा शेष कूड़ा
पॉलीथीन वाला गढ़्ढा खुला छोड़ दें ..पानी न डालें कूड़ा बीनने वाला ले जाएगा
दूसरे गढ्ढे में पानी-मिट्टी डाल दें, खाद बन जाएगी।
बेहतरीन प्रस्तुति ।
सचमुच प्लास्टिक की समस्या बहुत हीं गंभीर है । अक उम्दा आलेख !!!
चिंता उचित है. यह एक सवाल हमेशा से परेशान करता रहा है. समाधान निकलना ही चाहिये.
श्री नीरज जी, श्री सुमन जी,श्री देवेन्द्र जी, संजय जी, चन्दन जी एवं श्री वर्मा जी आप सभी ने इस समस्या पर ध्यान दिया यह हमें अच्छा लगा और देवेन्द्र जी आपके सुझाव हमें बहुत पसंद आये. हमें आपने जो सुझाव दिया तो एक उपाय उससे मिलता जुलता हमारे मन में भी आया वह यह कि सभी पोलीथिन को साफ़ कर हम हमारे आसपास के दुकानदारों को और सब्जीवाले जो हमारे घर के सामने से जाते हैं उनको दे देते हैं वे खुश हो जाते हैं अब हमने एक और प्रयोग करने की सोची है वह यह कि हमारे पास जो एक किरण की दुकान है उसको हम १०० रुपये देकर कहेंगे की आप अपने दुकान पर यह पोस्टर चिपका दो "१० पोलीथिन (साफ सुथरी) दुकान में जमा करने पर १ रुपये की छुट "या "१० पोलीथिन दुकान में जमा करने पर १ रुपये मिलेगा और पर्यावरण स्वस्थ बनेगा " चूँकि हमारे कालोनी से लगी निम्न वर्गीय परिवार भी रहते हैं तो मुझे लगता है इसका असर तो जरूर दिखेगा.
खुबसूरत रचना
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ................
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