यह कहानी है एक सिपाही के ज़िन्दगी की
ज़िन्दगी थी उसकी बैचैन जरा सी चाहत की
पर हाय यह जमाना!....
कितनी दर्द थी उसकी आवाज में
एक आत्मा दर्द में तड़प कर खोज रही थी
अपनी जिन्दगी के हमसफ़र को....
ज़िंदगी ने करवट बदली खुशियाँ उसके द्वार आई
पर शायद उसे उस सिपाही की नौकरी ना पसंद आई
संग उसका छोड़ दिया
फिर तन्हा हो गया वो सिपाही.....
न माता- पिता न भाई- बंधु
अकेला था बेचारा
अब बस एक ही मकसद था
देश के लिए जीना है देश के लिए मरना है
पर थोड़ी सी बाकि थी ख्वाहिश.....
अचानक हुई उसकी मुलाकात एक परी से
उसे अपनी व्यथा सुनाई
पर परी तो थी किसी और की
उसने कहा मुझे माफ़ करना सिपाही ....
सिपाही की आँखें भर आई
उसने कहा उसकी आँखों से
बस तुम मेरी हो तुम्हीं पर प्रीत है आई
और कहा प्रभु से
न देना कोई परी
क्योंकि मैं हूँ एक सिपाही
फिर तन्हा हो गया वो सिपाही.........
4 comments:
प्रेम की आस लिए एक जवान की दर्द भरी दास्ताँ
मर्मस्पर्शी लगी.
प्रिय अल्पना जी,
धन्यवाद!
यह सत्य घटना पर आधारित है.
यात्री बस पर हमला नक्सलियों द्वारा मन को दुखी कर गया. यह कायराना हमला प्रदर्शित करता है कि अब उनके मन में संवेदना नाम की कोई चीज नहीं रह गई है.
nice bkog , i like the ghazals
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