खैर व्यस्तता ज्यादा होने की वज़ह से हम उन्हें समय नहीं दे पाए और चले गए अपने ससुराल (आदरणीय ससुर जी का मकान जो बन रहा है थोड़ा देखना पड़ता है ) और वह भी बेगम को लिए बिना!
पारा धीरे धीरे चढ़ता ही जा रहा था हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ भी नहीं :(
अब रात में माहौल कुछ शांत होने लगा।
उफ़! पर ये क्या आज सबेरे से हमारी प्यारी बेगम हमसे फिर रूठ गई हैं और हमें अकेला छोड़ कर छत पर मोर्निंग वॉक कर रही हैं, थोड़ा जाकर पूछ ही लिया जाये :)
"क्यों बेगम क्या हुआ? आज आप थोड़ा खफा खफा लग रही हैं..."
उनकी तीखी नज़र जो हम पर पड़ी तो हम सर से पाँव तक सिहर उठे। उस बकरे का दर्द समझ आ रहा था जो शेरनी का निवाला बनने जा रहा हो :(
अगला प्रश्न उनकी और से ज़रा गौर फ़रमाइए....
"आज सुबह सुबह सपने में क्यों हँस रहे थे?"
जवाब है किसी के पास? :/
5 comments:
हा हा हा। जाहिर है पत्नि को देख कर तो हंसा नही जा सकता न तो जरूर सपने मे किसी और को देखा होगा। शुभकामनायें।
हा हा हा धन्यवाद निर्मला दीदी :) खबर उनतक जरूर पहुँच जाएगी :D
जवाब है किसी के पास? -
:D....
Interesting
आदरणीय रोशनी जी
नमस्कार !
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...आप इसी तरह अपनी मुस्कान से बुझे दिलों को ...हँसाने का प्रयास करते रहें ......शुक्रिया
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