यूँ तो मुझे जीवन विद्या के काम में सबसे ज्यादा खुशी मिलती है क्योंकि साथ साथ समझने की वस्तु मिलती रहती है। Mind Boost Work! अत: जब शरीर इस काम के लिए सहयोग देता है उसका मैं भरपूर फायदा उठाती हूँ।मैंने अन्य भाइयों के सहयोग से ही कई वाङ्ग्मय से कई शब्दों के संदर्भों के संकलन का कार्य किया। और उसे भाइयों ने भी सहर्ष यथोचित सम्मान देकर मध्यस्थ दर्शन के वेबसाइट्स में रखा यह एक बहुत बड़ा सम्मान था।
समय समय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में भाई बहन मुझसे संदर्भों के संकलन की डिमांड करते थे और मैं उन्हें उपलब्ध करा देती थी क्योंकि यह मेरा कर्तव्य और ज़िम्मेदारी थी। 25वां राष्ट्रीय सम्मेलन में भी यही हुआ और मैंने वही दोहराया। बस दिमाग में एक ही बात गूँज रही थी कि जो भी आपके पास है उसे लोगों को सहजता से सुलभ हो जाए, केन्द्रीयकरण नहीं करना है, सामान्यीकरण करना है। जिस चीज पर एक बार मेहनत हो चुकी उस पर दोबारा मेहनत नहीं उसके आगे मेहनत की आवश्यकता है। अब लोगों के पास हर चीज उपलब्ध है उनको सिर्फ समझने की आवश्यकता है व उसके अनुसार जीने की आवश्यकता है। और यदि कुछ करना है तो वे मात्र शोध में ध्यान देवें।
तो जैसे ही मुझे सम्मेलन के अंतिम दिन बसंत भैया जी ने बताया मुझे सम्मानित किया जा रहा है मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था! मुझे सम्मान करने का मतलब है कि उनका (बड़े भाइयों का) ही सम्मान क्योंकि मैंने तो कुछ भी किया नहीं था जो कुछ उपलब्ध था उससे ही सामग्री इकट्ठी की थी। खैर थोड़ी बहुत मेहनत की थी और उसके लिए मुझे सम्मान के लिए चुना गया यह मेरे अंदर जोश, खुशी को भर देने जैसा था। और सच में मुझे बहुत ही खुशी हुई जब मेरी छोटी बहन पूनम ने उस सम्मान को ग्रहण किया और मेरे संदेश को वहाँ पढ़कर सुनाया। मैंने तो सोचा ही नहीं था कि बहन जी को पढ़ने का समय मिलेगा भी नहीं...जैसा कि वहाँ वक्त की कमी दिख रही थी। पर फिर भी संदेश भिजवा दिया था। संदेश को पढ़ने को प्रेषित करने के लिए भी पूनम बहन जी का बहुत बहुत धन्यवाद और कृतज्ञता, मेरे परिवारजनों के प्रति भी कृतज्ञता क्योंकि मुझपर कोई किसी प्रकार का दबाव नहीं इसी वजह से तल्लीनता के साथ इस कार्य को मैं कर पायी। आशा है पिताजी जो अब जीवन रूप में हैं या जहाँ कहीं भी हो किसी नए शरीर में उन्हें भी बहुत खुशी हो रही होगी। :)
--
सम्मेलन में सभी छोटे- बड़े भाइयों, बहनों और बच्चों को भी उनके उपलब्धियों पर ढेरों ढेरों बधाइयाँ....
-- सम्मेलन में मेरा संदेश- "सर्वप्रथम आप सभी को इतनी सुंदर आयोजन के लिए खूब खूब धन्यवाद और ढेरों बधाइयाँ.... बसंत भैया जी से मुझे सूचना प्राप्त हुई कि मुझे मेरे सहयोग के लिए सम्मानित किया जा रहा है इसके लिए परम श्रद्धेय बाबा जी व आप सभी के प्रति आभार व कृतज्ञता.... और यह मुझे अच्छे से ज्ञात है कि यह सब सहयोग मैं आप लोगों को कर पायी इसकी वजह यथार्थता के स्त्रोत का सहजता से सर्वसुलभ होना और आप सभी का सहयोग। आप सभी बड़े छोटे भाई बहनों के आचरण मे ही मुझे सहजता और हर चीज हर वस्तु को आसानी से सुलभ करवा देना दिखाई दिया वही मैंने भी अपने आचरण मे लाने की कोशिश की...इससे ज्यादा मैंने और कुछ नहीं किया .... पुन: आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद और आभार" -- इस सम्मान को पाने के बाद भी मेरे पैर बिलकुल जमीन पर ही है क्योंकि हमें स्वयं पर कार्य करना है वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। :) सम्मेलन के सभी वीडियो इस लिंक पर उपलब्ध है। https://youtube.com/playlist?list=PLg-z0QA7ySJXQKBzpBpbw5kyJ4It0AchQ
No comments:
Post a Comment