Monday, September 27, 2010

बिना संगीत जिन्दगी कैसी?

कभी कभी जिंदगी में ऐसे कई मोड़ आ जाते हैं जिससे मन अशांत हो जाता है ऐसे में मधुर संगीत एक मरहम का काम करती है बस आज हमने यसुदास के कुछ गाने सुने बहुत ही अच्छा लगा। एक गीत आपको भी सुनाना चाहती हूँ :)

फिल्म :चश्मेबद्दूर, गायक : यसुदास एवं Haimanti Shukla, गीत के बोल इस प्रकार हैं

कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा
कहाँ से आए बदरा
घुलता जाए कजरा

पलकों के सतरंगे दीपक
बन बैठे आँसू कि झालर
मोती का अनमोलक हीरा
मिट्टी मे जा फिसला
कहाँ से आए बदरा ...

नींद पिया के संग सिधारी
सपनों कि सूखी फुलवारी
अमृत होठों तक आते ही
जैसे विष में बदला
कहाँ से आए बदरा ...

उतरे मेघ या फिर छाये
निर्दय झोंके अगन बढ़ाये
बरसे हैं अब तोसे सावन
रोए मन है पगला
कहाँ से आये बदरा ...


2 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत प्यारा गीत है

rajesh singh kshatri said...

1 baar phir se is madhur geet ki yaad taja ho gai.