Tuesday, April 15, 2014

विकास

विकास का मतलब मांसाहार नहीं यह देव मानव के स्वभाव नहीं है...तो विकास का सही अर्थ क्या????


विकास
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- जीवन पद में संक्रमित होना|
- परमाणु में गठन पूर्णता और क्रिया पूर्णता, आचरण पूर्णता|
- गुणात्मक परिवर्तन अर्थात पदार्थवस्था से प्राणावस्था,
प्राणावस्था से जीवावस्था, जीवावस्था से ज्ञानावस्था|
ज्ञानावस्था में पाये जाने वाले पशु मनुष्य से राक्षस मनुष्य, राक्षस मनुष्य से मानव, मानव से देवमानव-देव मानव से दिव्य- मानव के रूप में| 
(परिभाषा संहिता(अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रीय चिंतन)- पे.न.- २०४)

तो ये है "विकास" का सही अर्थ...
अब यह बताइए हमने कौन सा विकास किया अब तक? अब जो भी विकास होना है जो हम मानव के हाथ में है अर्थात पशु मनुष्य और राक्षस मनुष्य से मानव, मानव से देवमानव-देव मानव से दिव्य- मानव के रूप में... यह किस आयाम द्वारा संभव है?
"शिक्षा संस्कार" द्वारा...

तो स्वयं में जाँचे कि कौन इस प्रयास में लगा है और उसे सामने लाइए...और यदि इन लोगों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है तो उनको यह एहसास दिलाना हमारा और आपका काम है...
अब वे अपनी बेहूदा मान्यताएँ/पूर्वाग्रह हम पर थोप नहीं सकते...शिक्षा (जो वर्तमान में चल रही नहीं बल्कि शिक्षा का मानवीयकरण पर जो काम कर रहा है ) से कम में इनकी बात सुने भी नहीं....

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