अभी हाल में ही उत्तरप्रदेश की बच्चियाँ के साथ बुरा बर्ताव कर उन्हें फाँसी दे दी गई, एक माता जी के साथ भी ऐसी घटना घटी कि इंसानियत शब्द का अर्थ लोगों को बताने में भी शर्म महसूस होती है| राजधानी दिल्ली में दामिनी के साथ जो कुछ हुआ था लोगों ने उसके चरित्र पर ही उंगली उठाई थी कि इतने रात बस में उसे सफर करने की आवश्यकता क्या थी?
दु:शासन ने ऐसी हरकत की तो द्रौपदी की लाज कृष्ण ने बचा ली पर इन बच्चियों ने क्या कृष्ण को नहीं पुकारा? क्या वे उनकी भक्त नहीं थी? उत्तरप्रदेश की बच्चियाँ बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की होती है फिर क्यों नहीं आये कृष्ण, भगवान, ईश्वर इस युग के दु:शासन से उनकी रक्षा के लिए?
पकिस्तान में एक गर्भवती महिला को पत्थर मार मार कर उसकी हत्या कर दी गई| सीरिया, गाजा में आये दिन बच्चों, महिलों, पुरुषों पर वर्णन नहीं कर सकने वाले अत्याचार हो रहे हैं क्या उन्होंने वक्त पर नमाज़ अदा नहीं की थी.?
जो मिशनरी अपने धर्म के प्रचार के लिए दूसरे देश जाते हैं उन्हें जिन्दा जला दिया गया| कहाँ गए उनके गाॅड, प्रभु यीश जी?
पंजाब पहले ही कई हादसों से गुजर चूका वो अभी भी हमें याद है...जिस समय कई सिख परिवार हादसे के शिकार हो रहे थे वे क्या कभी किसी गुरुद्वारे नहीं गए थे? फिर क्यों उन निर्दोषों के साथ ये हादसे हुए?
कहाँ थे उस वक्त ये भगवान, अल्लाह, प्रभु यीश और वाहे गुरु? क्यों नहीं आये उस वक्त इन सबकी मदद के लिए?
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या फिर हम ही किसी भ्रम के शिकार हैं?
हम ही "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", प्रभु यीश को कुछ और मान बैठे हैं|
कृपया इस पर बहुत ही गहरे से विचार करें|
विचार करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह धरती अब बीमार हो चुकी है और विज्ञानी/ पढ़े लिखे लोग इसे और बर्बाद करने में तुले हुए हैं| परमाणु बम बनाये जाते हैं फिर उसका प्रयोग किसी दूसरे देश में किया जाता है| कोई भगवान, ईश्वर उन्हें बचाने नहीं आता|
अगर आपको उम्मीद है कि कोई चमत्कार होने वाला है और आप सभी बच जायंगें| तो फिर स्वयं में जाँचने की आवश्यकता है|
यदि "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", "प्रभु यीश" हमको बचा सकते हैं तो फिर हमें चुप चाप घर में बैठ जाना चाहिए पर अगर "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", प्रभु यीश होते हुए भी ऐसा कुछ नहीं कर सकते तो जिम्मेदारी हम पर है|
यह धरती हमारी है| जितनी भी घटनायें होती है सहअस्तित्व के नियमों पर ही होती है उन नियमों को समझकर ही हम स्वयं की और इस धरती की व्यवस्था को जैसा है (पहले जैसा स्वस्थ) वैसा बनाये रख सकते हैं| यह हमारी साझा जिम्मेदारी है| हम इससे भाग नहीं सकते हमारे आने वाली पीढ़ी का भविष्य फिलहाल तो हमारे ही हाथ है|
इन सभी बातों को कृपया जाँचा जाये...माने नहीं|
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(समाधान- स्वयं का ही सुधार व सह-अस्तित्व के नियमों में जीना, दूसरों के लिए प्रेरणा है| मेरा समझदारी पूर्वक जीना दूसरों के लिए उदाहरण बन जाये और वह भी मेरे जैसे जीने लगे| तो इसके लिए स्वयं पर काम करने की आवश्यकता है|
समझदार बने.|
सूत्र-
समझना-->जीना-->समझाना
सीखना-->करना-->सीखाना
धन्यवाद!
दु:शासन ने ऐसी हरकत की तो द्रौपदी की लाज कृष्ण ने बचा ली पर इन बच्चियों ने क्या कृष्ण को नहीं पुकारा? क्या वे उनकी भक्त नहीं थी? उत्तरप्रदेश की बच्चियाँ बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की होती है फिर क्यों नहीं आये कृष्ण, भगवान, ईश्वर इस युग के दु:शासन से उनकी रक्षा के लिए?
पकिस्तान में एक गर्भवती महिला को पत्थर मार मार कर उसकी हत्या कर दी गई| सीरिया, गाजा में आये दिन बच्चों, महिलों, पुरुषों पर वर्णन नहीं कर सकने वाले अत्याचार हो रहे हैं क्या उन्होंने वक्त पर नमाज़ अदा नहीं की थी.?
जो मिशनरी अपने धर्म के प्रचार के लिए दूसरे देश जाते हैं उन्हें जिन्दा जला दिया गया| कहाँ गए उनके गाॅड, प्रभु यीश जी?
पंजाब पहले ही कई हादसों से गुजर चूका वो अभी भी हमें याद है...जिस समय कई सिख परिवार हादसे के शिकार हो रहे थे वे क्या कभी किसी गुरुद्वारे नहीं गए थे? फिर क्यों उन निर्दोषों के साथ ये हादसे हुए?
कहाँ थे उस वक्त ये भगवान, अल्लाह, प्रभु यीश और वाहे गुरु? क्यों नहीं आये उस वक्त इन सबकी मदद के लिए?
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या फिर हम ही किसी भ्रम के शिकार हैं?
हम ही "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", प्रभु यीश को कुछ और मान बैठे हैं|
कृपया इस पर बहुत ही गहरे से विचार करें|
विचार करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह धरती अब बीमार हो चुकी है और विज्ञानी/ पढ़े लिखे लोग इसे और बर्बाद करने में तुले हुए हैं| परमाणु बम बनाये जाते हैं फिर उसका प्रयोग किसी दूसरे देश में किया जाता है| कोई भगवान, ईश्वर उन्हें बचाने नहीं आता|
अगर आपको उम्मीद है कि कोई चमत्कार होने वाला है और आप सभी बच जायंगें| तो फिर स्वयं में जाँचने की आवश्यकता है|
यदि "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", "प्रभु यीश" हमको बचा सकते हैं तो फिर हमें चुप चाप घर में बैठ जाना चाहिए पर अगर "ईश्वर", "भगवान", "अल्लाह", "वाहेगुरु", प्रभु यीश होते हुए भी ऐसा कुछ नहीं कर सकते तो जिम्मेदारी हम पर है|
यह धरती हमारी है| जितनी भी घटनायें होती है सहअस्तित्व के नियमों पर ही होती है उन नियमों को समझकर ही हम स्वयं की और इस धरती की व्यवस्था को जैसा है (पहले जैसा स्वस्थ) वैसा बनाये रख सकते हैं| यह हमारी साझा जिम्मेदारी है| हम इससे भाग नहीं सकते हमारे आने वाली पीढ़ी का भविष्य फिलहाल तो हमारे ही हाथ है|
इन सभी बातों को कृपया जाँचा जाये...माने नहीं|
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(समाधान- स्वयं का ही सुधार व सह-अस्तित्व के नियमों में जीना, दूसरों के लिए प्रेरणा है| मेरा समझदारी पूर्वक जीना दूसरों के लिए उदाहरण बन जाये और वह भी मेरे जैसे जीने लगे| तो इसके लिए स्वयं पर काम करने की आवश्यकता है|
समझदार बने.|
सूत्र-
समझना-->जीना-->समझाना
सीखना-->करना-->सीखाना
धन्यवाद!