Wednesday, July 2, 2014

साधन भट्टाचार्य भैय्या जी

साधन भट्टाचार्य भैय्या जी जीवन विद्या शिविर लेने एक नारी निकेतन से निमंत्रण मिलने पर गए| एक शानदार बंगला था कालीन बिछी हुई थी| एक से एक साजो सम्मान और सुविधा थी|
खिड़कियों में परदे लगे हुए थे| भैय्या जी को लगा कि आस पास के लोगों को बंगले में क्या चल रहा है इसे जानने में कुछ ज्यादा रुचि हो रही है तो उन्होंने सारे परदे खोलने को कहा| 
अब देखो क्या देखना है...
खैर शिविर प्रारंभ हुआ पहले तो सारी बहनें उसमें शामिल हुई फिर ७ दिन के शिविर में एक एक करके कम होने लगीं|
भैय्या जी को कुछ समझ में नहीं आया उन्होंने शिविर लेना जारी रखा| 
पर आखरी दिन तो एक भी बहन शिविर में नहीं आई भैय्या जी बस यूँ ही बैठे रह गए|
फिर उन्होंने सन्देश भिजवाया तो पता चला कि सब अपने अपने घर वापस चली गई|
अब नारी निकेतन के मालिक चिंता में पड़ गए उन्होंने कहा ये आपने क्या किया अब यह निकेतन कैसे चलेगा?
भैय्या ने कहा यह तो आपको खुश होना चाहिए कि बहने वापस अपने घर चली गई आप घर तोड़ना चाहते हैं कि जोड़ना?
इसके आगे शायद उन्होंने कुछ नहीं कहा| 
तो यह था एक शिविर का असर 
इस घटना का जिक्र भैय्या जी अपने शिविर में अक्सर किया करते हैं| ऐसे एक नहीं कई उदाहरण मिल जायंगें| हर शिविर लेने वाले के पास ऐसे कई उदाहरण होते हैं जो उनको उत्साह और खुशीयों से भर देता है और यही उनकी पेमेंट है|

नोट- यह चित्र मैंने संकेत भैय्या जी के फोटो से लिया है|
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=668736663159678&set=pb.100000700513613.-2207520000.1402201414.&type=3&theater
इस बेहतरीन चित्र के लिए आभार|

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