Wednesday, July 2, 2014

सच्ची खुशी

एक अपने सबसे अच्छे मित्र का चित्रण कीजिये..उसके साथ बीते खुशनुमा पल याद कीजिये|
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चित्रण हो गया? चित्रण करके खुश हैं?
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अब बताये क्या आप उससे मित्रता उसकी सीरत (व्यवहार) देख कर किये थे?
कि सूरत देखकर किये थे?
कि धर्म/जाति देखकर किये थे?
बताइए?

फिर हम यह सब जाति, धर्म, मजहब हमारे जीने, मानव संबंधों में आड़े क्यों आता है? क्यों हम अपनी सच्ची खुशी इन सबके पीछे गंवाते हैं?
क्यों खुद भी दुखी होते हैं और औरों को भी दुख बाँटते हैं|
यहाँ क्या महत्वपूर्ण है?
व्यवहार या जात पात?
जो महत्वपूर्ण है उस पर हम क्यों काम नहीं करते?

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