Wednesday, July 2, 2014

दंड देना क्या न्याय है?

अगर हम बदला लेने या जिसने गलती की है उसे जेल भेजने/दंड देने को न्याय कहते हैं तो इसे जाँचते हैं

संबंध में...
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स्थिति १ - एक बहु को उसकी सासु माँ ने अपने समय में खूब दबाकर रखा..बहु सहमी सहमी उसके हर जुल्म को सहते सहते अपनी आधी जिंदगी ऐसे ही गुजार दी|
अब बहु का समय है उसने जितना उसकी सासु माँ ने उसके साथ व्यवहार किया उसे गिन गिन कर बदला निकाल रही है| बुजुर्ग हो चुकी सासु माँ के पास अब सिवाय आँसू बहाने और डर के कुछ नहीं है|
स्थिति-२ - बहु जो अपने सास के अत्याचार को सहन किया क्योंकि इसके पीछे कारण क्या है उन्हें यह बात समझ में आ रही थी अत: बगैर शिकायत भाव के उसने समय समय पर उन्हें अपनी माता का ही दर्जा देकर समझाने की कोशिश भी की पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा...बहु ने अपने कर्तव्य (सेवा) और दायित्व (समझाना) का पूरी तरह से निर्वाह किया...बुजुर्ग होती सासु माँ उसके कर्तव्य (सेवा भाव) और धैर्य पूर्वक दायित्व (समझाना) निर्वाह से बेहद प्रभावित हुई और उनमें बहु के प्रति प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता रुपी मूल्यों का बहाव होने लगा|
और इस तरह एक परिवार का वातावरण सुखद हो गया|
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अब बताएँ कौन सा वाला न्याय आपको सहज स्वीकार हो रहा है?
स्थिति १ या स्थति-२

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